
प्रयागराज, 11 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मनमाने ढंग से काम करने की प्रवृत्ति पर तीखी टिप्पणी की है। कहा है कि वे याचियों को परेशान करने के लिए जानबूझ कर अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हैं।
कहा गया कि आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो अगली तिथि पर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश और राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के निदेशक को कोर्ट में उपस्थित होना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने उज्जमा व एक अन्य की याचिका पर दिया है।
रामपुर की याची उज्जमा और चेतना सैनी 2011 में प्रशिक्षु शिक्षक की भर्ती में शामिल हुई। जाति प्रमाण पत्र में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने नियुक्ति पत्र देने से इन्कार कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
कोर्ट ने गम्भीर चिंता व्यक्त की कि अधिकारियों ने 2018 के कोर्ट आदेश का पालन करने का इरादा ही नहीं दिखाया। इसके बजाय उन्होंने 2019 में एक अनन्तिम नियुक्ति पत्र पेश किया और दावा किया कि आदेश का पालन हो गया है। कोर्ट ने इस कृत्य को न्यायालय को गुमराह करने वाला माना है। कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद याचियों को परेशान किया गया है और उन्हें दो अवमानना याचिकाएं और तीन रिट याचिकाएं दायर करने के लिए मजबूर किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 22 सितम्बर को होनी है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
