
प्रयागराज, 22 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सीजेएम मथुरा को वृंदावन की अपराध पीड़िता और उसकी मां को 25 सितम्बर को अदालत के समक्ष पेश होना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। पीड़िता की पहचान को लेकर संदेह होने की स्थिति में कोर्ट ने यह आदेश दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने नाबालिग नितिन चौधरी की याचिका पर दिया है। वृंदावन थाने में 31 मई 2022 को पीड़िता की मां ने युवक पर बेटी के साथ गलत काम करने के आरोप में पॉक्सो व अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराया है। उक्त मामले की किशोर न्याय बोर्ड मथुरा में सुनवाई चल रही है और पीड़िता का बयान दर्ज हो रहा है। इसी बीच आरोपित की मां ने किशोर न्याय बोर्ड में एक प्रार्थना पत्र देकर कहा, कि पीड़िता और उसकी मां का नाम एफआईआर और आधार कार्ड में भिन्न है। जिसका बयान पीड़िता के तौर पर लिया जा रहा है वह असल में पीड़िता है ही नहीं।
हालांकि किशोर न्याय बोर्ड ने इस प्रार्थना पत्र को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रति परीक्षा के दौरान कार्यवाही को रोका नहीं जा सकता। इस आदेश को आरोपित ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। आरोपित के वकील शरदेंदु मिश्र ने दलील दिया कि पीड़िता की पहचान ही सवालों के घेरे में है तो ट्रायल की प्रक्रिया कैसे जारी रह सकती है। इस पर कोर्ट ने पीड़िता व उसकी मांग को अगली तारीख पर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
