नैनीताल, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड में बरसात के दौरान विकराल होती नदियों और किसानों की भूमि कटाव के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद प्रदेश के सचिव सिंचाई, सचिव खनन, प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड समेत एमडी वन विकास निगम को रिवरड्रेजिंग और उत्तराखंड में हो रहे अवैध खनन को रोकने का विस्तृत प्लान पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी भुवन पोखरिया ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था उत्तराखंड में बरसात के दौरान नदियां विकराल रूप लेती है। नदियों किनारे समय से ड्रेजिंग ना होने के चलते गांव में बाढ़ जैसे हालात बनते हैं किसानों की जमीन कट जाती है। जिससे नदी किनारे रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। याचिका में कहा कि वर्ष 2023-24 में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि मानसूनी नदियों को रिवर ड्रेजिंग नीति के तहत मलवा हटाया जाए। मगर दो साल बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसको देखते हुए याचिकाकर्ता ने पुनः हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर शिकायत की थी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तिथि नियत की है।
(Udaipur Kiran) / लता
