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बीएचयू में 27 वर्षों से कार्यरत संविदाकर्मियों के नियमितीकरण पर निर्णय लेने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

-कुलपति के आदेश के बावजूद तीन कर्मचारियों को नहीं किया गया स्थायी

प्रयागराज, 03 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू में 27 वर्षों से कार्यरत तीन संविदाकर्मियों के नियमितीकरण पर छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने श्रीराम सिंह, रघु दयाल यादव एवं सियाराम सिंह की याचिका पर उनके अधिवक्ता और बीएचयू के अधिवक्ता को सुनकर दिया है। कोर्ट ने बीएचयू से कुलपति के 16 अक्टूबर 2004 के नियमितीकरण के आदेश एवं इस वर्ष दो अप्रैल के कार्यालय अभिलेख-आफिस नोट एवं टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कानून के अनुसार फैसला लेने को कहा है।

याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचियों को वर्ष 1998 में शुरू में दैनिक वेतनभोगी के तौर पर कुलपति के आदेश के अनुसार रखा गया लेकिन वर्ष 2002 में कुलपति द्वारा उनकी नौकरी की तकनीकी प्रकृति को देखते हुए अनुबंध के आधार पर नौकरी को अनुमोदित किया गया। एडवोकेट ने कहा कि टेलीफोन एक्सचेंज समिति ने याचियों के नियमितीकरण-स्थायीकरण की संस्तुति की, जिसे तत्कालीन कुलपति ने स्वीकार करते हुए 16 अक्टूबर 2004 को आदेश किया। लेकिन कुलपति के आदेश को अमल में नहीं लाया गया। जबकि कुलपति के आदेशानुसार याचियों का नियमितीकरण हो जाना चाहिए था।

अधिवक्ता ने कहा कि बीएचयू ने याचियों की सेवाओं को संतोषजनक पाया है। यह बीएचयू के अभिलेख में मौजूद है। याचिका में वर्ष 2004 के कुलपति के स्थायीकरण के आदेश के आलोक एवं सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न आदेश के आलोक में नियमितीकरण के लिए एवं समान कार्य समान वेतन सिद्धांत के अनुसार बकाया सहित सभी आर्थिक लाभ की मांग पर की गई थी।

कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका स्वीकार करते हुए याचियों को वर्तमान रिट याचिका को हाईकोर्ट के आदेश के साथ दो सप्ताह के भीतर बीएचयू के सक्षम प्राधिकारी के समक्ष नया प्रत्यावेदन दाखिल करने और बीएचयू को अभ्यावेदन प्राप्त होने के छह सप्ताह के भीतर कुलपति एवं रजिस्ट्रार के अप्रैल 2025 के आफिस नोट-अभिलेख के अनुसार शीघ्रतापूर्वक निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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