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रेंजर को निलंबन अवधि का वेतन व अन्य परिलाभ देने का निर्देश

हाईकाेर्ट

जयपुर, 29 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने वन विभाग में कार्यरत रहे रेंजर को उसकी निलंबित अवधि का वेतन व अन्य परिलाभ देने का निर्देश दिया है। वहीं राज्य सरकार के 10 अप्रेल 2006 के उस आदेश को मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया जिसमें बिना जांच किए ही कर्मचारी का वेतन व परिलाभ रोक लिए थे। जस्टिस आनंद शर्मा ने यह आदेश रूपसिंह हरसाना की याचिका पर दिया। अदालत ने कहा कि राजस्थान सर्विस रूल्स के नियमों का प्रावधान केवल उन्हीं मामलों में लागू होता है, जहां विभागीय जांच पूरी होने के बाद कर्मचारी को दोषी ठहराया गया हो।जबकि इस मामले में जांच लंबित रहने के दौरान ही याचिकाकर्ता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी है। ऐसे में राज्य सरकार का प्रार्थी के वेतन व अन्य परिलाभ रोकने का आदेश गलत है।

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि प्रार्थी के खिलाफ विभाग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के चलते चार्जशीट जारी की। उसे 22 जुलाई 1996 से 13 मई 1997 तक निलंबित रखा गया। वहीं जांच के दौरान 17 जून 2000 को राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 की धारा 53(1) के तहत उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। वहीं बाद में विभागीय जांच बंद कर दी गई और प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने प्रमाणपत्र जारी कर दिया कि उसके खिलाफ कोई जांच लंबित नहीं है, लेकिन फिर भी राज्य सरकार ने 10 अप्रैल 2006 के आदेश से उसे केवल निर्वाह भत्ता देने की बात कही और बाकी वेतन व लाभ रोक दिए। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि जब प्रार्थी के खिलाफ चार्जाशीट वापस ले ली है तो इस स्थिति में सरकार के पास निलंबित अवधि का वेतन रोकने का कोई अधिकार नहीं था। इसके विरोध में राज्य सरकार ने कहा कि उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी थी, इसलिए वे वेतन व परिलाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।

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(Udaipur Kiran)

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