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शांति की खोज में बाहर भटकने के बजाय, अपने भीतर तलाश करें: डा. अर्चिका दीदी

डा. आर्चिका दीदी गीता ज्ञान योग शिविर के दौरान।

मंडी, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । छोटी काशी मंडी में स्थित भीमा काली मंदिर परिसर में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक सुधांशु महाराज की सुपुत्री और शिष्या ज्ञान योग गुरु डॉ. आर्चिका दीदी द्वारा गोविंद ध्यानम ज्ञान योग शिविर के दूसरे दिन प्रथम सत्र में गहन आध्यात्मिक चर्चा और मेडिटेशन प्रक्रियाओं का आयोजन किया गया। इस सत्र का शुभारंभ डॉ. आर्चिका दीदी ने ध्यान और ओम के उच्चारण के साथ किया। इस अवसर पर नगर निगम मंडी के महापौर वीरेंद्र भट्ट शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।

उन्होंने कहा कि हम शांति की खोज बाहर बरते हैं, सारी खुशियां और आनंद बाहर ढूंढते हैं। जबकि मन की असली शांति हमारे भीतर होती है, जिसे खोजने वाला योगी कहलाता है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने मन को शांत करता है वह परमात्मा से जुड़ता है। उसे अच्छी खुशी मिलती है, खुशी को बाहर ढूंढने के बजाय हमारे अंदर मिलती है, और जब नहीं मिलती है तो डिप्रेशन और निराशा मिलती है। जबिक हम दुनियादारी में उलण् कर अपनी खुशी खो देते हैं। परमात्मा ने हमें सब कुछ देकर भेजा है, लेकिन हम सब भूल जाते हैं। तनाव के चलते हम मुस्कुराहट खो चुके हैं, अपने अंदर से ही आएगी खुशी। ध्यान के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि ध्यान की गहराई से मानसिक शांति और चमक चेहरे पर आती है।

डॉ. आर्चिका दीदी ने कहा कि गहरे ध्यान में रहने वाले व्यक्तियों के चेहरे पर एक विशेष चमक और तेज होता है। उन्होंने आज्ञा चक्र भ्रूमध्य पर ध्यान केंद्रित कर मन को शांत रखने की प्रेरणा दी। उन्होंने रोजमर्रा के जीवन में भी शांत रहने की प्रक्रिया बताते हुए कहा कि गुस्सा आने पर तीन बार गहरे और ज़ोर से श्वास लें तथा पानी पीकर अपने गुस्से को शांत करें। दीदी ने संगत को परमात्मा का ध्यान कर उनके प्रति प्रेम का एहसास करने को कहा। उन्होंने जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए सकारात्मक दृष्टिकोण रखने पर जोर दिया।

डॉ. आर्चिका ने कहा कि आजकल बच्चे रात देर तक मोबाइल चलाने के कारण अनिद्रा का शिकार हो रहे हैं। उन्हें इस तनाव मोबाइल की दुनिया से दूर करने के लिए ध्यान साधना पर विस्तृत करने की प्रक्रिया बताई गई, जिससे वे मानसिक शिकार से मुक्ति पा सकें। उन्होंने अपने आपको सुनते रहने और अन्य विचारों से दूर रहने की प्रक्रिया बताकर ज्ञान की एक स्थिति में रहने पर चर्चा की। रविवार को गीता ज्ञान योग शिविर के दूसरे संध्या सत्र में यह महत्वपूर्ण चर्चा हुई।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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