
जयपुर, 12 अगस्त (Udaipur Kiran) । शहरी सरकारें गुलाबी नगर की शान को लेकर बेपरवाह बनी हुई है। सड़कों पर घूमते आवारा मवेशी, आमजन हमलावर श्वान और झपट्टा मारते बंदर जयपुर की शान को बिगाड़ रहे है। लगातार कार्रवाई के निगम के दावे खोखले साबित हो रहे है। शहर की सड़कों पर लगातार गौवंश, कुत्ते और मकान की छतों पर बंदर नजर आ रहे है। सभी आवारा जानवर आमजन के लिए जानलेवा साबित हो रहे है। पिछले दिनों एक सांड की टक्कर से विदेशी पर्यटक की मौत हो गई थी तो वहीं कुत्तों और बंदरों के हमलों में भी आमजन जान गंवा चुके है। निगम अधिकारियों की मिलीभगत से शहर में अवैध डेयरियां पनप रही है। निगम के अधिकारी का काम में कम और रिश्वत लेने में नाम ज्यादा आ रहा है।
ग्रेटर निगम ने 7 माह में पकड़ी 7190 गौवंश, दो माह बाद किया बंदर पकडऩे का टेंंडर
ग्रेटर निगम में गौवंश पकडऩे का काम निगम के ही कर्मचारी कर रहे है। पूर्व में गायों को पकडऩे को लेकर किए टेंडर फर्म द्वारा लापरवाही बरतने उसे ब्लैकलिस्ट किया गया। 1 जनवरी से लेकर 31 जुलाई तक ग्रेटर निगम ने सड़कों से 7190 गौवंश को पकड़कर हिंगोनिया गौशाला में पहुंचाया जा चुका है। गायों को पकडऩे को लेकर निगम के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। वर्तमान में निगम के पास केवल तीन ही पिंजरे है। एक पिंजरा वीआईपी मूवमेंट, दूसरा ऑनलाइन शिकायतों और तीसरा रोजाना गौवंश पकडऩे के लिए है। पिछले 6 माह में ग्रेटर निगम की पशु प्रबंधन शाखा द्वारा 5017 श्वानों का बधियाकरण और टीकाकरण किया जा चुका है।
15 दिन पहले किया था बंदर पकडऩे का टेंडर
वहीं पिछले दो माह से ग्रेटर निगम ने बंदर पकडऩे के लिए कोई टेंडर नहीं कर रखा था हाल ही बंदर पकडऩे को लेकर टेंडर किया गया, लेकिन अभी तक फर्म ने काम शुरू नहीं किया है।
पशु चिकित्सक डॉ. राकेश ने बताया कि निगम प्रशासन लगातार श्वानों के टीकाकरण, बधियाकरण, सड़कों पर घूमते गौवंश को पकडऩे और बंदरों को पकडऩे का काम कर रहा है। निगम सीमित संसाधनों में बेहतर काम कर रहा है।
14 साल में 5 बार बढ़ी दर, लेकिन श्वानों की संख्या पर नहीं लगी लगाम
पिछले 14 साल में श्वानों की संख्या सीमित करने को लेकर निगम ने पांच बार दरों में परिवर्तन किया। लेकिन खर्चा बढऩे के साथ-साथ घटने की बजाय श्वानों की संख्या बढ़ती चली गई। वर्ष 2011 में नगर निगम ने श्वानों की संख्या सीमित करने के लिए अभियान शुरू किया था। उस समय बंध्याकरण के लिए 400 रुपए प्रति श्वान दिए जाते थे। बाद में यह राशि बढ़ाकर 600, फिर 819 और 1200 रुपए कर दी गई। फिलहाल ग्रेटर नगर निगम प्रति श्वान 1700 रुपये और हैरिटेज नगर निगम 1460 रुपये दे रहा है। वर्तमान में शहर में 80 हजार से अधिक श्वान घूम रहे हैं। जब किसी वीआइपी की आवाजाही होती है, तब शहरी सरकारें सक्रिय नजर आती हैं। पशु जन्म नियंत्रण नियम 2023 तहत सरकार द्वारा आवारा श्वानों की आबादी को नियंत्रित करने और रेबीज के प्रसार को रोकने के लिए बनाए गए हैं, ये नियम, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत अधिसूचित किए गए हैं। लेकिन इन पर अभी तक इन पर ठीक से कोई काम शुरू नहीं हुआ है।
हेरिटेज निगम एक गाय पकडऩे पर खर्च करता 1460 रुपये हेरिटेज निगम
वर्तमान में एक गौवंश पकडऩे के लिए 1460 रुपये खर्च करता है। पिछले 7 माह की बात करें तो हेरिटेज निगम ने चारदीवारी से करीब 4000 हजार गौवंश पकड़कर हिंगोनिया गौशाला में पहुंचाए है। गौवंश पकडऩे के लिए हेरिटेज निगम के पास 4 पिंजरे है। लेकिन इन सब के बावजूद चारदीवारी में लगातार सड़कों पर गौवंश नजर आ रहे है और अवैध डेयरियों की भरमार है। निगम पर कई बार अवैध डेयरियां पनपाने के आरोप लग चुके है। करीब सवा महिने पहले ही किया है बंदर पकडऩे का टेंडर हेरिटेज निगम ने करीब सवा महिने पहले ही बंदर पकडऩे का टेंडर किया है। इस सवा माह में निगम ने 300 पकडऩे का दावा किया है। लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। चारदीवारी के लोग बंदरों के उत्पात से खासे परेशान है। बंदर चारदीवारी के पर्यटन स्थलों को भी नुकसान पहुंचा रहे है। शिकायत के बाद भी निगम बंदर पकडऩे नहीं पहुंचाता है। निगम प्रशासन की टीम एक स्थान से बंदर पकड़कर पास वाली कॉलोनी में खुले स्थान पर छोड़कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर लेती है।
हेरिटेज निगम के पशु चिकित्सक डॉ योगेश ने बताया कि हाल ही बंदर पकडऩे का टेंडर किया है। सवा माह में 300 बंदर पकड़कर दूर जंगल में छोड़ा गया है। 6813 श्वानों का किया बधियाकरण हेरिटेज निगम ने पिछले 7 माह में 6813 श्वानों का बधियाकरण किया है। इस दौरान निगम ने 7300 श्वानों का टीकाकरण किया है।
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(Udaipur Kiran) / राजेश
