Uttar Pradesh

शहीद बाबू जगत सिंह का इतिहास पाठ्य पुस्तकों में शामिल कराने की पहल

—एन.सी.ई.आर.टी. के निदेशक ने डॉ. मुरली मनोहर जाेशी के पत्र का जबाब दिया

वाराणसी,16 जून (Udaipur Kiran) । बनारस के विस्मृत जननायक शहीद बाबू जगत सिंह, जिनका योगदान 1799 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और सारनाथ की खोज में रहा है, अब पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा बन सकते हैं। यह जानकारी एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्म विभूषण डॉ. मुरली मनोहर जोशी के पत्र के जबाब में लिखा है।

प्रो. सकलानी ने लिखा है कि बाबू जगत सिंह के योगदान से जुड़ी प्रमाणिक जानकारी और दस्तावेजों को पाठ्यपुस्तक निर्माण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। साथ ही, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनकही गाथाओं और सारनाथ की वास्तविक खोज से जुड़ी जानकारियों को एनसीईआरटी की पुस्तकालयों में भी उपलब्ध कराया जाएगा ।

गौरतलब है कि डॉ. जोशी ने एनसीईआरटी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि भारतीय पुरातत्व एवं संरक्षण विभाग द्वारा सारनाथ के शिलापट्ट का शोध आधारित संशोधन छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक जीवंत प्रमाण है कि किस प्रकार ब्रिटिश शासनकाल में भारतीय इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे इतिहास का अध्ययन भारतीय दृष्टिकोण से करें।

इस पहल की सराहना करते हुए जगत सिंह रॉयल फैमिली प्रोजेक्ट के संरक्षक प्रदीप नारायण सिंह, त्रिपुरारी शंकर (एडवोकेट), प्रो. राणा पी.वी. सिंह, मेजर अरविंद सिंह, डॉ. राम सुधार सिंह, अरविंद कुमार सिंह (एडवोकेट), अशोक आनंद, राजेंद्र कुमार दुबे, केदारनाथ तिवारी और शमीम अहमद ने कहा कि एनसीईआरटी द्वारा उठाया गया यह त्वरित कदम ऐतिहासिक सच्चाइयों को उजागर करेगा और नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने का कार्य करेगा।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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