Madhya Pradesh

मप्र विधानसभा में श्रम संशोधन विधेयक पारित, उद्योगों में हड़ताल की डेढ़ माह पूर्व देनी होगी सूचना

मप्र विधानसभा (फाइल फोटो)

भोपाल, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को लम्बी चर्चा के बाद विपक्ष के हंगामे के बीच श्रम विभाग के संशोधित विधेयक को पारित कर दिया गया। इस विधेयक में प्रावधान है कि मध्य प्रदेश में अब उद्योगों में हड़ताल और तालाबंदी करने के लिए उद्योग प्रबंधन को डेढ़ महीने पहले सूचना देना होगी। कांग्रेस विधायकों ने इसे मजदूरों का शोषण बढ़ाने वाला बताया। विपक्ष के सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया और जमकर नारेबाजी की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस विधेयक से मजदूरों का हड़ताल और आंदोलन करने का अधिकार छीन जाएगा। यह ठेका प्रथा को बढ़ावा देने वाला है।

मप्र विधानसभा में लंच के बाद सदन में श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल द्वारा पेश किए गए श्रम संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरू हुई। कांग्रेस विधायक विजय रेव नाथ चौरे ने विधेय का विरोध करते हुए कहा कि ठेका प्रथा को बढ़ावा देने वाला यह विधेयक श्रमिकों का और अधिक शोषण कराएगा। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स के माध्यम से सरकार कर्मचारियों को श्रमिकों के रूप में नियुक्त कर रही है। जिस व्यक्ति को आउटसोर्स का ठेका मिलता है, वह सरकार से एक कर्मचारी के लिए 15 हजार रुपये लेता है और श्रमिक को पांच हजार रुपये का भुगतान करता है।

वहीं, कांग्रेस विधायक दिनेश जैन बोस ने भी कहा कि आउटसोर्स कर्मचारी का ठेका सिस्टम के माध्यम से भारी शोषण होता है। कंप्यूटर ऑपरेटर को सरकार 18 हजार का भुगतान करती है, लेकिन उन्हें 12 से 13 हजार रुपये मिलते हैं। बीच में बिचौलिए पैसे खा जाते हैं, इसलिए सीधे आउटसोर्स कर्मचारी के खाते में पैसे डालने की व्यवस्था होनी चाहिए। कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि सरकार को ठेकेदारों की चिंता है। श्रमिकों की चिंता नहीं है। इस विधेयक से यह बात साबित होती है कि भाजपा पूंजीवादियों की सरकार है और पूंजीवादियों के लिए काम करती है।

इस पर श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि हम मजदूर का सम्मान करते हैं लेकिन निर्माण की गति को बनाकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि मैं आलोचना सुनने वाला हूं। विधेयक का विरोध करने वाले विधायकों से उन्होंने कहा कि अगर किसी ने पर्ची पकड़ा दी गलत तो आप गलत ही पढ़ोगे ना।

श्रम मंत्री पटेल ने कहा कि 2019 में जो श्रम कानून बने हैं, संशोधित हुए हैं उसका अनुमोदन इस विधेयक के माध्यम से किया जाना है। अगर किसी उद्योग को बंद करना है तो एक महीने पहले समय पर सूचना देनी होगी। उसके बाद ही उद्योग बंद करने की कार्रवाई हो सकेगी। जिन्हें उद्योग के खिलाफ आंदोलन करना है उन्हें पहले सूचना देनी होगी। पीएफ का पैसा उनके खाते में ही जाएगा, उससे कोई खा नहीं पाएगा। यह मजदूर के हित में लाया गया विधेयक है।

विधायक सोहनलाल वाल्मीकि ने इस विधेयक की प्रस्ताव पर संशोधन प्रस्ताव देते हुए कहा कि श्रमिकों का अधिकार है हड़ताल करना, आंदोलन करना और इस नियम के लागू होने के बाद श्रमिकों के अधिकार छीन जाएंगे। उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए इसका विरोध किया। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि श्रम मंत्री ने कहा है कि इसमें उद्योग के मालिक के बीच जिम्मेदारी तय की गई है। लेकिन सोहनलाल वाल्मीकि ने संशोधन प्रस्ताव वापस लेने से मना कर दिया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस पर वोटिंग कराई और संशोधन प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया गया। इसके बाद विधेयक को पारित घोषित कर दिया गया। कांग्रेस के सदस्यों ने इस फैसले के खिलाफ सदन से वॉकआउट कर दिया और बाहर आकर नारेबाजी की।

श्रम संशोधन कानून महिलाओं को नौकरी के क्षेत्र में अधिक अवसर और समानता प्रदान करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इस संशोधित विधेयक में प्रावधान किया गया है, जिससे अब कंपनियां और संस्थान महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम पर रख सकेंगी, बशर्ते वे सभी सुरक्षा मानकों का पालन करें। यानी अब महिलाएं सिर्फ दिन में ही नहीं, बल्कि 24×7 शिफ्ट्स में काम कर सकेंगी, जैसा कि कई निजी कंपनियों और मल्टीनेशनल कंपनियों की जरूरत होती है।

(Udaipur Kiran) तोमर

Most Popular

To Top