शिमला, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य हिमाचल को निवेश और उद्योगों का हब बनाना है। उन्होंने शुक्रवार को शिमला में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही।
चौहान ने कहा कि वर्ष 2004 में केंद्र सरकार से औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद प्रदेश के उद्योगों को बड़ी मजबूती मिली। उस समय प्रदेश का औद्योगिक निर्यात लगभग 550 करोड़ रुपये था, जो 2025 में बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। प्रदेश की जीडीपी में भी उद्योगों का योगदान लगातार बढ़ा है।
उद्योग मंत्री ने बताया कि बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने कई मुद्दे उठाए। इनमें सबसे बड़ी समस्या धारा 118 से जुड़ी है। वर्तमान व्यवस्था में किसी भी जमीन को उद्योग के लिए मंजूरी मिलने के बाद यदि कंपनी का नाम या डायरेक्टर बदलता है तो पुनः अनुमति लेनी पड़ती है। इससे निवेशकों को दिक्कत आती है। सरकार इस नियम में ढील देने पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उद्योगों को राहत देने के लिए अक्टूबर से बिजली दरों में 40 पैसे प्रति यूनिट की कमी करने और डीपीटी आधार पर रिफंड देने का आश्वासन दिया है। सरकार निवेशकों की हर समस्या का समाधान करेगी और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को और सरल बनाएगी, ताकि हिमाचल देश का अग्रणी औद्योगिक राज्य बन सके।
प्राकृतिक आपदा को लेकर चौहान ने कहा कि वर्ष 2023 में प्रदेश को लगभग 10 हजार करोड़ और 2025 में करीब 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके बावजूद सरकार ने स्थिरता बनाए रखी है। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार 2027 तक मजबूती से कायम रहेगी।
चौहान ने राजस्व बढ़ाने के लिए नदी-नालों से खनन (रिवर बेड माइनिंग) को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट (एफसीए) के चलते केवल एक साइट पर अनुमति मिली है, जबकि प्रदेश की 32 नदियों के किनारे 3022 साइटें प्रस्तावित हैं। इसके लिए केंद्र सरकार से वन-टाइम अनुमति मांगी गई है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
