Madhya Pradesh

इंदौर का मध्यस्थता मॉडल प्रदेश के लिए बना मिसाल

न्यायमूर्ति विवेक रुसिया (फाइल फोटो)

– आपसी सुलह और समझौते से पांच हजार से अधिक मामलों का हुआ समाधान

इंदौर, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । सिविल प्रक्रिया संहिता संशोधन अधिनियम 1999 की धारा 89 के तहत वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) की विधा मध्यस्थता को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है। यह एक गैर-बाध्यकारी, निष्पक्ष, नि:शुल्क तथा स्वैच्छिक प्रक्रिया है, जिसमें प्रशिक्षित मध्यस्थ पक्षकारों को संवाद के माध्यम से विवाद समाधान तक पहुंचने में मदद करते हैं। इंदौर जिले ने इस प्रक्रिया को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और प्रदेश भर में एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया है।

उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया की पहल पर तथा कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देशन में जिला प्रशासन इंदौर के सक्रिय सहयोग से इस प्रक्रिया का सुनियोजित एवं प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश शमीम अहमद के नेतृत्व में प्रशिक्षित मध्यस्थों की टीम ने अब तक पांच हजार से अधिक मामलों का समाधान आपसी समझौते से कराया है।

समझौते से सुलझे सैकड़ों विवाद, मुकदमेबाज़ी की जरूरत नहीं

न्यायाधीश शमीम अहमद ने रविवार को बताया कि इंदौर में वैवाहिक, पारिवारिक, कार्यालयीन और पड़ोसी विवादों को प्राथमिकता के साथ मध्यस्थता प्रक्रिया में लिया जा रहा है। यह एक पूर्णतः गोपनीय प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करते हुए पारंपरिक मुकदमेबाज़ी के मुकाबले शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जाता है। जनसुनवाई में प्राप्त उपयुक्त मामलों को अब कलेक्टर कार्यालय स्थित मध्यस्थता केंद्र में भेजा जाता है। इस सुविधा को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ बनाने हेतु जिले में 22 मध्यस्थता केंद्र कार्यरत हैं।

विविध समाजों की भागीदारी और विशेषज्ञों का सहयोग

उन्होंने बताया कि इंदौर में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सहित 27 विभिन्न समाजों के 123 वरिष्ठ जन इस अभियान से जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त पूर्व न्यायाधीश, डॉक्टर, इंजीनियर, अधिवक्ता, समाजसेवी, सीए और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी भी मध्यस्थता समिति में शामिल हैं। इन्हें 20 घंटे के विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से मध्यस्थ के रूप में तैयार किया गया है।

120 से अधिक सक्रिय मध्यस्थ, सतत जनजागरूकता अभियान

वर्तमान में 120 से अधिक प्रशिक्षित मध्यस्थ इंदौर जिले में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। पिछले दो वर्षों में उन्होंने सैकड़ों जटिल मामलों का समाधान आपसी सहमति से कर न्यायालय का समय बचाया है। जनजागरूकता के लिए लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि नागरिकों को मध्यस्थता प्रक्रिया की जानकारी मिल सके और इसे लोकप्रियता व स्वीकार्यता प्राप्त हो।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की सराहना

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए बाणगंगा स्थित मध्यस्थता केंद्र का शुभारंभ किया था। उन्होंने इस प्रक्रिया की सराहना करते हुए कहा, इस प्रक्रिया में कोई हारता नहीं, दोनों पक्ष जीतते हैं।

समाज में संवाद, सम्मान और समाधान का आधार

इंदौर की यह पहल केवल विवादों का समाधान नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका के सहयोगी के रूप में समाज में शांति, संवाद और सम्मान को बढ़ावा देने वाली अनुकरणीय व्यवस्था बन गई है। मध्यस्थता अब केवल न्याय का विकल्प नहीं, बल्कि समाज सुधार की दिशा में एक प्रभावी कदम बन चुकी है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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