Madhya Pradesh

इंदौरः राज्य सूचना आयुक्त के शिविर में प्रस्तुत हुए 55 प्रकरण, 44 अपीलार्थी हुए उपस्थित

लोक सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारी की बैठक

आरटीआई में समय पर सटीक और पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना सभी लोक सूचना अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारीः डॉ. पचौरी

इंदौर, 06 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त डॉ. उमाशंकर पचौरी ने सोमवार को कलेक्टर कार्यालय इंदौर में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत शिविर आयोजित किया। शिविर में कुल 55 प्रकरणों पर विचार किया गया। शिविर में 44 प्रकरणों के आवेदक भी उपस्थित हुए। इन सभी आवेदकों के समक्ष अपीलों का निराकरण किया गया।

राज्य सूचना आयुक्त ने शिविर के साथ ही जिले के लोक सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारी की बैठक भी की। जिले के विभिन्न विभागों के लोक सूचना अधिकारियों के साथ सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की समीक्षा की। बैठक में डॉ.पचौरी ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने में लोक सूचना अधिकारियों का महत्वपूर्ण स्थान है। सूचना का अधिकार आम नागरिकों के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता की महत्वपूर्ण कड़ी है। नागरिकों को समय पर, सटीक और पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना सभी लोक सूचना अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

डॉ. पचौरी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी स्तर पर सूचना में विलंब या अपूर्ण जानकारी देना अधिनियम की भावना के विपरीत है। उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर देते हुए कहा कि आमजन को समय पर और पारदर्शी तरीके से सूचना उपलब्ध कराना उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सूचना तक जाना हर व्यक्ति का अधिकार है। बिना पढ़े-लिखे आम आदमी को भी आसानी से जानकारी मिले , यही सूचना के अधिकार अधिनियम का उद्देश्य है। राज्य सूचना आयुक्त ने अधिकारियों को नागरिकों की शिकायतों और आवेदनों के प्रति उत्तरदायी बने रहने पर बल दिया।

डॉ. पचौरी ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव हैं। अधिकारी यदि नियमों और प्रक्रिया की पूरी जानकारी रखते हुए कार्य करें तो नागरिकों को सूचना उपलब्ध कराने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि लंबित आवेदनों का समयबद्ध निराकरण किया जाए और आवेदकों को अनावश्यक रूप से इधर-उधर भटकने की स्थिति में न रखा जाए।

राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सभी अधिकारी अपने विभागीय कार्यों में सूचना के अधिकार अधिनियम को जनहितकारी दृष्टिकोण से अपनाएं। उन्होंने बताया कि अधिनियम केवल सूचना देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुशासन और पारदर्शिता को मजबूत करने का माध्यम है। बाकि कार्यों की तरह ही सूचना का अधिकार भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आवेदक को मांगी गई जानकारी समयसीमा में उपलब्ध करायें। यदि मांगी गई जानकारी शाखा में उपलब्ध नहीं हो तो संबंधित शाखा को 5 दिवस में आवेदन अंतरित करें और अनिवार्य रूप से इसकी सूचना संबंधित आवेदक को देवें। संबंधित शाखा द्वारा समयसीमा में जानकारी नहीं दी जाती है तो इसमें शाखा की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि आवेदक एक आवेदन में एक से अधिक विषय की जानकारी नहीं मांग सकते हैं।

उन्होंने बताया कि राज्य सूचना आयोग लगातार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि आमजन को उनकी वांछित जानकारी सहजता से उपलब्ध हो सके। इसके लिए सभी विभागीय अधिकारियों को संवेदनशील और तत्पर रहना होगा। बैठक के दौरान विभिन्न विभागों के लोक सूचना अधिकारियों ने सूचना के अधिकार से संबंधित अपनी शंकाएं और व्यावहारिक समस्याएं रखीं। राज्य सूचना आयुक्त ने अधिकारियों की जिज्ञासाओं का धैर्यपूर्वक समाधान किया तथा उन्हें अधिनियम की धारा-वार व्याख्या करते हुए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया।

बैठक में इंदौर जिले के विभिन्न विभागों के लोक सूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए और अधिनियम की बेहतर समझ प्राप्त की।

(Udaipur Kiran) तोमर

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