
-इंडोनेशिया के बाली प्रांत और हरियाणा के बीच
बनी सहमति
-अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र
आएगा इंडोनेशिया का प्रतिनिधिमंडल
चंडीगढ़, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । अध्यात्म और सांस्कृतिक विरासत को संजोए
इंडोनेशिया, महाभारत स्थली कुरुक्षेत्र में अपना सांस्कृतिक केंद्र खोलेगा। अभी
हाल ही में, इंडोनेशिया में आयोजित हुए
छठे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में सांस्कृतिक केंद्र खोलने का मसौदा तैयार हुआ,
जिसे नवंबर में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अमलीजामा पहनाया
जाएगा।
इंडोनेशिया का बाली प्रांत हिंदू संस्कृति का
संवाहक माना जाता है। यहां ब्रह्मा, विष्णु, महेश और ईश्वर की हिंदू धर्म की तरह
मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना होती है। खास बात यह है, बाली प्रांत में हर चौक
व चौराहा महाभारत व रामायण पर आधारित है। यहीं पर भगवान विष्णु की गरुढ़ कंचना की
मूर्ति स्थापित है। लिहाजा, बाली प्रांत की ओर से कुरुक्षेत्र में सांस्कृतिक
केंद्र खोलने की पेशकश की गई है। बाली और हरियाणा सरकार की ओर से आपस में सहमति
जता दी गई है, अब जल्द ही इंडोनेशिया और भारत सरकार के स्तर पर सांस्कृतिक केंद्र
खोलने के मसौदे को मंजूरी दी जाएगी।
कुरुक्षेत्र में सांस्कृतिक केंद्र खोलने का
प्रस्ताव बाली के विधायक प्रोफेसर डॉ. सोमवीर द्वारा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव
में रखा गया। इस प्रस्ताव को हरियाणा के पर्यटन एवं विरासत मंत्री डॉ. अरविंद
शर्मा ने स्वीकार करते हुए आश्वस्त किया कि इंडोनेशिया की ओर से एक अधिकारिक तौर पर
इसके संबंध में प्रस्ताव भेजा, ताकि कुरुक्षेत्र में इस प्रस्ताव को लेकर आगे बढ़ा
जा सके। इसके साथ ही कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की ओर से भी बाली (इंडोनेशिया) को इस
तरह का प्रस्ताव दिया गया है। बाली सरकार की ओर से सांस्कृति केंद्र में गेस्ट
हाउस, इंडोनेशिया के रीति रिवाज, धार्मिक पंरपरा और खान-पान सहित तमाम कलाकृति व
शिल्पकला को प्रदर्शित किया जाएगा।
48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन
छाबड़ा का कहना है कि भारत और इंडोनेशिया के बाली प्रांत की संस्कृति का आपस में
गहरा जुड़ाव है। महर्षि मारकंडे का बाली प्रांत में भव्य मंदिर है। वहीं, बाली
प्रांत में भारतीय संस्कृति और रीति रिवाज की तरह हिंदू देवी-देवताओं के प्रति
गहरी आस्था है। बाली प्रांत की सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र में सांस्कृति केंद्र
खोलने का प्रस्ताव रखा गया है। अब जल्द ही, अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में
इंडोनेशिया का प्रतिनिमंडल शिरकत करेगा, जिसमें सांस्कृति केंद्र खोलने के
प्रस्ताव पर भारत और इंडोनेशिया सरकार की मंजूरी मुहर लग सकती है। सांस्कृति केंद्र
से आने वाले समय में कुरुक्षेत्र को न केवल
नई पहचान मिलेगी, बल्कि इससे टूरिज्म भी बढ़ेगा। राज्य सरकार की ओर से जल्द ही सांस्कृतिक
केंद्र खोलने को लेकर औपचारिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का कहना
है कि बाली प्रांत की ओर से कुरुक्षेत्र में सांस्कृतिक केंद्र खोलने की सराहनीय
पहल है। इससे गीता का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा और इंडोनेशिया और भारत के सांस्कृतिक
संबंध भी प्रगाढ़ होंगे। श्री गीताजी उपदेश किसी एक देश, एक भाषा, एक समुदाय, एक जाति,
एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानव व्यवस्था के लिए उपयोगी है। गीता जी से दुनिया
को जीवन जीने की कला और सद्भाव एवं शांति का मंत्र मिलता और यह सामंजस्य का प्रतीक
है। अभी हाल ही में, इंडोनेशिया के बाली प्रांत में संपन्न हुए अंतरराष्ट्रीय गीता
महोत्सव में हर नागरिक ने पूरा उत्साह और जोश दिखाया। सांस्कृतिक केंद्र से इंडोनेशिया
के नागरिक गीता को अपने जीवन में उतारने के साथ-साथ इस ज्ञान का प्रचार भी करेंगे।
—————
(Udaipur Kiran) शर्मा
