

नई दिल्ली, 08 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को कहा कि विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अनुसार भारत की बेरोजगारी दर मात्र दाे फीसदी रह गई है, जो जी-20 देशों में सबसे कम है।
मांडविया ने यहां श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और ‘मेंटर टुगेदर’ एवं ‘क्विकर’ के बीच राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल पर युवाओं की रोजगार क्षमता और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर के अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस समझौता ज्ञापन पर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने विश्व आर्थिक मंच की ‘रोजगारों के भविष्य की रिपोर्ट 2025’ का हवाला देते हुए कहा कि भारत की बेरोजगारी दर 2 फीसदी है, जो जी-20 देशों में सबसे कम है। मंत्री ने कहा कि भारत की तेज आर्थिक वृद्धि के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन हुआ है और प्रधानमंत्री विकासशील भारत रोजगार योजना (पीएम- वीबीआरवाई) सहित कई योजनाओं ने इसमें योगदान दिया है।
उन्होंने मंत्रालय और डिजिटल मंच ‘मेंटर टुगेदर’ तथा ऑनलाइन साइट ‘क्विकर’ के बीच समझौता के अवसर पर कहा कि इस एमओयू का मकसद राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल पर रोजगार के अवसरों के साथ ही युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाना है। मांडविया ने कहा कि इन साझेदारियों की मदद से नौकरी चाहने वालों के लिए उचित मार्गदर्शन और रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारत की तेज आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार सृजन हुआ है, उन्होंने इस दिशा में योगदान देने वाली सरकारी योजनाओं का भी जिक्र किया। मांडविया ने कहा, लगभग 52 लाख पंजीकृत नियोक्ताओं, 5.79 करोड़ नौकरी चाहने वालों और 7.22 करोड़ से अधिक रिक्तियों के साथ राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) प्लेटफॉर्म अब न केवल नौकरी लिस्टिंग प्रदान करने के लिए, बल्कि सभी रोजगार-संबंधी सेवाओं के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में विकसित हो रहा है। वर्तमान में पोर्टल पर 44 लाख से अधिक सक्रिय रिक्तियां हैं।
पिछले एक साल में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने अमेजन और स्विगी सहित दस प्रमुख संगठनों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन कंपनियों के साझेदारियों से अब तक लगभग पांच लाख रिक्तियां उपलब्ध हो चुकी हैं।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
