Uttar Pradesh

आध्यात्मिकता और नीतिशास्त्र पर आधारित है भारतीय रणनीतिक संस्कृति : प्रो. हर्ष सिन्हा

*महाराणा प्रताप महाविद्यालय में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की स्मृति में सप्तदिवसीय व्याख्यान माला का दूसरा दिन*
*महाराणा प्रताप महाविद्यालय में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की स्मृति में सप्तदिवसीय व्याख्यान माला का दूसरा दिन*
*महाराणा प्रताप महाविद्यालय में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की स्मृति में सप्तदिवसीय व्याख्यान माला का दूसरा दिन*
*महाराणा प्रताप महाविद्यालय में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की स्मृति में सप्तदिवसीय व्याख्यान माला का दूसरा दिन*
*महाराणा प्रताप महाविद्यालय में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की स्मृति में सप्तदिवसीय व्याख्यान माला का दूसरा दिन*

गोरखपुर, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । रणनीतिक संस्कृति का तात्पर्य केवल युद्धकला या शक्ति-प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्र की नीति, धर्म, मूल्य और व्यवहार की वह परंपरा है, जो उसके सामरिक, राजनयिक और सांस्कृतिक निर्णयों को दिशा देती है।भारत की ज्ञान परंपरा में यह रणनीतिक दृष्टि सदैव धर्म, नीति और लोककल्याण पर आधारित रही है।

यह बातें महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर में ब्रह्मलीन राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पावन स्मृति में आयोजित सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन “भारतीय ज्ञान परंपरा में रणनीतिक संस्कृति“ विषय पर आयोजित व्याख्यान में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के आचार्य प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने बतौर मुख्य वक्ता कही। प्रो. सिन्हा ने कहा कि यदि हम वेद और उपनिषद को देखें तो वो हमें बताते हैं कि वास्तविक विजय केवल शस्त्र से नहीं, बल्कि आत्मबल और संयम से होती है। अलग-अलग कालखंडों में रणनीतिक संस्कृति विभिन्न रूपों में देखी गई है। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने धर्म और नीति पर आधारित रणनीति से आदर्श स्थापित किया। महाभारत में श्रीकृष्ण ने हमें सिखाया कि कभी-कभी धर्म की रक्षा के लिए रणनीतिक लचीलापन आवश्यक होता है। इसी प्रकार आचार्य चाणक्य का अर्थशास्त्र भारतीय रणनीतिक संस्कृति का शास्त्रीय स्वरूप है जिसमें युद्धनीति, गुप्तचर, कूटनीति और अर्थनीति का अद्भुत समन्वय मिलता है।

प्रो. सिन्हा ने कहा कि आज जब विश्व अस्थिरता और संघर्षों से जूझ रहा है, तब भारत अपनी प्राचीन रणनीतिक संस्कृति के अनुरूप वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से शांति का संदेश दे रहा है। सुरक्षा को केवल हथियारों से नहीं, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक आत्मविश्वास और वैज्ञानिक प्रगति से जोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति और रक्षा नीति में यह स्पष्ट दिखता है कि शक्ति का प्रयोग केवल आत्मरक्षा और विश्वकल्याण के लिए ही होना चाहिए। आज की भारतीय विदेश नीति और रक्षा नीति में संतुलन, संवाद और शांति की प्राथमिकता दिखाई देती है, जो हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा की देन है। प्रो. सिन्हा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा की रणनीतिक संस्कृति हमें यह सिखाती है कि युद्ध का उद्देश्य शांति है, शक्ति का उद्देश्य लोककल्याण है और नीति का आधार धर्म है। यही हमारी सनातन संस्कृति की पहचान है और यही विश्व को भारत का शाश्वत संदेश है।

रणनीतिक संस्कृति में भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता लोककल्याण और शांति : डॉ. विजय चौधरी

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार चौधरी ने कहा कि भारतीय रणनीतिक संस्कृति की जड़ें वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत और चाणक्य नीति जैसे ग्रंथों में गहराई से स्थापित हैं। इन ग्रंथों ने यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्र की रणनीति केवल विजय प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि समाज और विश्व के कल्याण के लिए होनी चाहिए। डॉ. चौधरी ने कहा कि महाभारत में श्रीकृष्ण द्वारा धर्म की स्थापना के लिए अपनाई गई कूटनीति हो या आचार्य चाणक्य का अर्थशास्त्र, दोनों ही यह संदेश देते हैं कि रणनीति का अंतिम लक्ष्य जनकल्याण है। उन्होंने कहा कि इसी ज्ञान परंपरा पर महंत अवेद्यनाथ जी का पूरा जीवन आधारित था। वे सदैव गरीब, वंचित और शोषित वर्ग की सेवा के लिए तत्पर रहते थे तथा उन्होंने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण में राष्ट्र और समाज को सर्वोपरि रखा। डॉ. चौधरी ने कहा कि हम सब ऐसे ही महामानव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा पाकर अपने व्यक्तित्व विकास के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं।

कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के रक्षा एवं स्ट्रैटजिक अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य विवेक विश्वकर्मा ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय

Most Popular

To Top