
गोरखपुर, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । सीएसआईआर केंद्रीय औषधीय अनुसंधान संस्थान लखनऊ के पूर्व उप-निदेशक (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक) डॉ. प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वैदिक काल का वैज्ञानिक ज्ञान भारत को सांस्कृतिक पहचान के साथ-साथ इसके आध्यात्मिक पक्ष को भी वैश्विक पटल पर स्थापित कर मानवीय सभ्यता को संतुलित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा प्रदान करता है। आज के परिदृश्य में हमें आवश्यकता है कि ऐसे गौरवशाली धरोहर को आधुनिक संदर्भ में पुनर्परिभाषित करें। उसे संरक्षित, संवर्धित और प्रचारित करें ताकि ये ज्ञान परम्परा आनेवाली पीढ़ियों के लिए एक वरदान बन सके।
डॉ. श्रीवास्तव मंगलवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) में स्वास्थ्य एवं जीवन विज्ञान संकाय द्वारा आयोजित “भारतीय ज्ञान परम्परा : एक महान विरासत” विषयक व्याख्यान को सम्बोधित कर रहे थे। यह आयोजन एमजीयूजी के चौथे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की स्मृति में संयोजित किया गया था। उन्हाेंने कहा कि भारत, एक प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा वाला देश है जिसकी जड़ें हजारों वर्षों पूर्व की सभ्यताओं में गहराई तक फैली हुई हैं। यहां की पारम्परिक ज्ञान प्रणाली न केवल भारत की सांस्कृतिक आत्मा की प्रतीक है, बल्कि यह मानवता को प्रकृति, जीवन और ब्रह्मांड के साथ संतुलन में रहने की शिक्षा भी देती है। यह ज्ञान जीवन के हर क्षेत्र में चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान, वास्तुकला, संगीत, नृत्य, कृषि, योग, आध्यात्म और सामाजिक व्यवस्था में व्याप्त है। विद्यार्थियों द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा से सम्बंधित जिज्ञासाओं एवं प्रश्नों का उत्तर देते हुए डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के विद्यार्थियों का भारतीय ज्ञान परम्परा के प्रति उत्साह इस विश्विद्यालय के संस्थापकों परिकल्पना के अनुरूप है।
व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. गिरिधर वेदांतम ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में विज्ञान और आयुर्वेद का अद्भुत समन्वय रहा है। सम्पूर्ण विश्व ने भारत के औषधियों से निरोगी काया का मूल रहस्य सीखा है। स्वास्थ्य एवं जीवन विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार सिंह ने वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का अभिनंदन करते हुए कहा कि डॉ. प्रदीप कुमार श्रीवास्तव विश्व के पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने साइंटून नामक एक अनूठी अवधारणा प्रस्तुत कर एक नवाचार विकसित किया है। संचालन सृष्टि यदुवंशी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रेरणा अदिति ने किया।
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
