
जौनपुर, 25 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर में दीक्षोत्सव के अंतर्गत गुरुवार को “इंटीग्रेटिंग एनसिएंट इंडियन विजडम फॉर हॉलिस्टिक वेल बीइंग इन पर्सनल एंड प्रोफेशनल लाइफ” विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर संदीप कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान पद्धति का महत्व पूरी दुनिया मान रही है। आज लोग जीवन को बेहतर बनाने के लिए योग, ध्यान और हमारी संस्कृति को आत्मसात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति लक्ष्य प्राप्त न कर सके और अवसाद में जाए तो धार्मिक ग्रंथ ही उसके सहायक बनते हैं। ये ग्रंथ योग और ज्ञान की शिक्षा देकर हमें सही दिशा दिखाते हैं।
प्रो. संदीप ने कहा कि स्वस्थ रहने का मतलब केवल शारीरिक रोगों से मुक्त होना नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से सुदृढ़ होना भी है। यदि जीवन में तनाव बढ़े तो हमारी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। उन्होंने नींद को जीवन के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक बताया और कहा कि सही जीवन जीने के लिए कर्म ही सबसे महत्वपूर्ण है। प्राचीन भारतीय ज्ञान और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाकर रखना जीवन को आनंददायक बना सकता है।
संकाय अध्यक्ष प्रो. मनोज मिश्र ने कहा कि हमें अपनी मिट्टी और जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। इसके लिए प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के ज्ञान को वर्तमान जीवन में अपनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति परोपकार की है। वृक्ष, नदी और गाय जैसे प्रतीक इस बात के उदाहरण हैं कि उनका अस्तित्व दूसरों की सेवा के लिए है।
विषय प्रवर्तन करते हुए व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अंजय प्रताप सिंह ने कहा कि प्राचीन काल की भारतीय ज्ञान परम्परा आज की जीवनशैली की चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने योग, ध्यान, आयुर्वेद, खानपान की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। समारोह का संचालन डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनु त्यागी ने किया। इस अवसर पर डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. मनोज पांडेय, डॉ. सुनील कुमार, अर्पित सहित अनेक शिक्षक एवं छात्र उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
