
नई दिल्ली, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । राज्यसभा ने बुधवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 को ध्वनि मत से पारित कर दिया, जिससे गुवाहाटी में देश का 22वां और असम का पहला भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। केंद्र सरकार इसके लिए 550 करोड़ रुपये की पूंजीगत सहायता प्रदान करेगी। यह विधेयक एक दिन पहले मंगलवार को लोकसभा से पारित हो चुका है।
सरकार के मुताबिक, आईआईएम गुवाहाटी, पूर्वोत्तर भारत में शिलॉन्ग के बाद दूसरा आईआईएम होगा। यह विधेयक गुवाहाटी में स्थापित होने वाले आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान का दर्जा भी प्रदान करता है। इसके माध्यम से पूर्वोत्तर भारत में उच्च शिक्षा में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने, विश्वस्तरीय प्रबंधन शिक्षा और शोध को बढ़ावा देने तथा आर्थिक विकास और व्यावसायिक नेतृत्व को सशक्त करने का लक्ष्य है।
राज्यसभा में भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किए जाने के बाद विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि यह केवल एक शैक्षणिक संस्थान की स्थापना नहीं है, बल्कि असम और पूर्वोत्तर भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि गुवाहाटी में आईआईएम की मांग लंबे समय से की जा रही थी और आज यह सपना साकार हो रहा है।
प्रधान ने कहा कि आईआईटी गुवाहाटी, एनआईटी सिलचर और केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच एक आईआईएम की कमी लंबे समय से महसूस की जा रही थी। अब यह कमी पूरी हो रही है। इस संस्थान से असम के युवाओं को प्रबंधन शिक्षा के अवसर प्राप्त होंगे।
उन्होंने कहा कि विधेयक के माध्यम से भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम, 2017 में संशोधन कर गुवाहाटी स्थित नए संस्थान को अधिनियम की अनुसूची में शामिल किया जाएगा, जिससे इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्राप्त होगा। शिक्षा मंत्री ने सदन से आग्रह किया कि इस विधेयक को तत्काल पारित किया जाए ताकि इसी सत्र में गुवाहाटी में आईआईएम का उद्घाटन कर शैक्षणिक सत्र प्रारंभ किया जा सके।
राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी भुवनेश्वर कालिता की अनुमति के बाद विधेयक पर व्यापक चर्चा हुई और अंततः इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। चर्चा के दौरान असम से भाजपा सदस्य कणाद पुरकायस्थ, एजीपी के बीरेन्द्र प्रसाद बैश्य, गुजरात से रामभाई मोकारिया और तमिलनाडु से एआईएडीएमके के डॉ. एम. थंबीदुरई ने विधेयक का समर्थन करते हुए इसमें भाग लिया। चर्चा के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने एक दिन पहले लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान बताया था कि इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार 550 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देगी, जबकि असम सरकार भूमि और बुनियादी ढांचे की व्यवस्था करेगी। असम सरकार और केंद्र सरकार के बीच इस परियोजना को लेकर गहरा सहयोग रहा है और मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की सक्रिय भूमिका से यह संभव हो सका है। उन्होंने बताया कि यह संस्थान केंद्र सरकार, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के बीच हुए एक त्रिपक्षीय समझौते के तहत राज्य के समग्र विकास के लिए घोषित विशेष विकास पैकेज का हिस्सा है।
विधेयक के अनुसार, गुवाहाटी में स्थापित होने वाले इस नए आईआईएम को भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम, 2017 की अनुसूची में शामिल किया जाएगा और इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया जाएगा। जब तक इसका निदेशक मंडल गठित नहीं हो जाता, तब तक केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी इसके प्रशासनिक कार्यों का संचालन करेंगे।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
