
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) ।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में आयोजित शांति स्थापना आयोग की राजदूत-स्तरीय बैठक में महिलाएं, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपी एस) एजेंडा के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई। यह बैठक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित की गई। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन, ने भारत का वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा, “शांति की स्थापना और उसे बनाए रखना, महिलाओं की पूर्ण और समान भागीदारी के बिना संभव नहीं है।” उन्होंने कहा कि भारत की शांति स्थापना में भूमिका न केवल उसके व्यापक योगदान के लिए, बल्कि इस दृष्टि से भी विशिष्ट है कि भारत ने बहुत पहले ही महिलाओं को सतत शांति की अपरिहार्य साझेदार के रूप में मान्यता दी थी।
विल्सन ने कहा कि 1960 के दशक में भारतीय महिला चिकित्सा अधिकारियों ने कांगो में सेवा दी थी, जो संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में महिलाओं की भागीदारी के शुरुआती उदाहरणों में से एक था। वर्ष 2007 में भारत ने लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र की पहली पूर्ण महिला पुलिस इकाई तैनात की, जिसने वहां की स्थानीय महिलाओं को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा बलों में शामिल होने की प्रेरणा दी। आज भारतीय महिला शांति सैनिक कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, अबेई और दक्षिण सूडान में सेवा दे रही हैं, जहाँ वे समुदायों के साथ विश्वास निर्माण, नागरिकों की सुरक्षा और लैंगिक हिंसा की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
विल्सन ने कहा कि भारत की यात्रा “महिला विकास से महिला-नेतृत्व वाले विकास” की ओर रही है, जिसने समाज के हर क्षेत्र में परिवर्तन लाया है। आज भारत में 14 लाख से अधिक महिलाएं पंचायतों और स्थानीय निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। 23 से अधिक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों ने स्थानीय शासन में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है, जो समावेशी शासन और सामाजिक एकता की मिसाल है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र ,महिला शांति सैनिकों के लिए लैंगिक-संवेदनशील प्रशिक्षण का एक वैश्विक केंद्र बन चुका है। भारत ने हाल ही में ग्लोबल साउथ की महिला शांति सैनिकों के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी भी की है। विल्सन ने कहा कि भारत भविष्य में भी डब्ल्यूपी एस एजेंडा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखेगा और ग्लोबल साउथ के देशों के साथ अपने अनुभव, प्रशिक्षण और तकनीकी विशेषज्ञता साझा करने के लिए तत्पर है।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी