Madhya Pradesh

भारत एकमात्र देश जहां बहुसंख्यकों का नरसंहार हुआ: विवेक अग्निहोत्री

भारत एकमात्र देश जहां बहुसंख्यकों का नरसंहार हुआ: विवेक अग्निहोत्री

उज्जैन, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) ।मध्य प्रदेश के उज्जैन में अवंतिका विवि में आयोजित यंग थिंकर्स कॉन्फ्लुएंस कांफ्लुएंस में 26 राज्यों सहित पड़ोसी देशों से लगभग 400 चयनित प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। चर्चित फिल्म द काश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने संबोधित किया। श्री अग्निहोत्री ने कहा कि ज्ञान की शक्‍ति से ही भारत ने की प्रगति की। भारत की सभ्यता और संस्कृति ने सदियों की प्रताड़ना झेली, फिर भी ज्ञान और संस्कृति की शक्ति से भारत आगे बढ़ा है। विश्व की समस्त सभ्यताओं में सदैव बहुसंख्यक समाज ने अल्पसंख्यक पर अत्याचार किए हैं,किंतु भारत ऐसा एकमात्र देश है जिसमें अल्पसंख्यक समाज ने सदियों से बहुसंख्यक समाज पर अत्याचार व नरसंहार किए।

उन्होंने पिछले एक हज़ार वर्ष से हिंदू समाज पर हुए अत्याचारों का डॉक्यूमेंटेशन करने पर भी जोर दिया। प्रथम सत्र में लेखक डॉ. राम शर्मा ने कहा कि भारत में परिवार और समाज का संबंध भावनात्मक एवं मूल्य आधारित रहा है, जबकि पश्चिमी समाजों में यह उपभोक्तावादी दृष्टिकोण से प्रभावित हुआ है। संस्कृति ही परिवार व्यवस्था का मूल है, जिस पर आज मार्क्‍सवादी शक्तियां सतत रूप से प्रहार कर रही हैं।

इसी सत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर वेंकटेश ने कहा कि पश्चिमी समाजों में पारिवारिक विघटन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के चरम रूपों के कारण सामाजिक असंतुलन और अपराध दरों में वृद्धि देखी जा रही है। पारिवारिक विहीनता के कारण सामाजिक अपराध बढ़े हैं। लेखक अनुराग शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में बच्चों की परवरिश एवं शिक्षा पर बाहरी प्रभाव तेजी से बढ़ रहे हैं। माक्र्सवाद, वोकिज्म और अतिवादी नारीवाद पारिवारिक मूल्यों को चुनौती दे रहे हैं। शिक्षा, मनोरंजन और सोशल मीडिया के ज़रिए बच्चों के विचार बदले जा रहे हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों में भारतीय संस्कार, नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों की जड़ें मज़बूत करें।

अमृतांशु पांडे ने बताया कि भारत का असली इतिहास हमारी परंपराओं और सांस्कृतिक चेतना में जीवित है, न कि केवल पुस्तकों में। हमारे पुराण और ग्रंथ हमारी सभ्यता की निरंतरता का प्रमाण हैं। उनकी पुस्तक भारत की भूली कहानियों को उजागर करने का प्रयास है, जो हमारी सांस्कृतिक गहराई और मूल्यों से जुड़ी हैं।

लेखक अंकुर कक्कर ने कहा कि भारत हमेशा से ज्ञान और शिक्षा की भूमि रहा है। यहां की गुरुकुल परंपरा ने न केवल विद्या, बल्कि संस्कार भी सिखाए। भारतीय संस्कृति और अंग्रेजी भाषा का संतुलन आज की शिक्षा व्यवस्था के लिए आवश्यक है। हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहकर ही आधुनिक ज्ञान को सही दिशा देनी चाहिए। उक्‍त आयोजन महाकाल की नगरी मे 10 अक्‍टूबर से आरंभ होकर रविवार तक चला है। यह आयोजन देशभर के बौद्धिक, चिंतनशील और जिज्ञासु युवाओं के लिए एक वैचारिक मंच के रूप में आयोजित किया गया था ।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। इस कॉन्फ्लुएंस में भारत के विभिन्न राज्यों से चयनित 400 युवा प्रतिभागी हिस्सा लेते हुए “डीप स्टेट”, “भारत की भारतीय अवधारणा”, “परिवार व्यवस्था”, और “विकसित भारत” जैसे समसामयिक और महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन किया । तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में बौद्धिक सत्रों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुस्तक मेला भी विशेष आकर्षण रहे।

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(Udaipur Kiran) / ललित ज्‍वेल

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