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भारत वैश्विक स्तर का अंतरदेशीय जहाज मरम्मत नेटवर्क बना रहा है : शांतनु ठाकुर

कोलकाता, 17 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । केंद्र सरकार देश के अंतरदेशीय जलमार्गों को सशक्त बनाने और समुद्री क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए वैश्विक मानकों वाला जहाज मरम्मत और रखरखाव नेटवर्क तैयार कर रही है। यह जानकारी केंद्रीय पोर्ट, शिपिंग एवं जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने शुक्रवार को काेलकाता में आयाेजित पोर्ट ट्रस्ट के कार्यक्रम में दी।

उन्होंने बताया कि भारत अब अपनी जलमार्ग प्रणाली को तटीय डॉक या विदेशी सेवाओं पर निर्भर किए बिना पूरी तरह से संचालनक्षम बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसके तहत गंगा (राष्ट्रीय जलमार्ग-1) पर पटना और वाराणसी में दो नए शिप रिपेयर फैसिलिटी (एसआरएफ) स्थापित किए जा चुके हैं, जबकि एक अन्य इकाई पांडु (गुवाहाटी) में ब्रह्मपुत्र (एनडब्ल्यू-2) और बराक (एनडब्ल्यू-16) के लिए तैयार की जा रही है।

शांतनु ने कहा कि जहाज मरम्मत सुविधाएं अब केवल तकनीकी निवेश नहीं रह गई हैं, बल्कि यह आर्थिक परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं। हमारा लक्ष्य है कि भारत के जलमार्ग पूरी तरह से सक्षम हों और जहाजों की मरम्मत व रखरखाव के लिए किसी तटीय या विदेशी सुविधा पर निर्भरता न रहे। ये नई मरम्मत इकाइयां जहाजों के टर्नअराउंड समय को घटाने के साथ-साथ रोजगार सृजन, तकनीकी कौशल विकास और उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पूर्वोत्तर राज्यों में एमएसएमई भागीदारी को भी बढ़ावा देंगी। इन परियोजनाओं को भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा लागू किया जा रहा है। पटना और वाराणसी की सुविधाएं अब पूरी तरह चालू हैं और ये मालवाहक जहाजों से लेकर यात्री नौकाओं तक की मरम्मत संभालने में सक्षम हैं।

शांतनु ने कहा कि पांडु में तैयार हो रहा एसआरएफ पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए “रणनीतिक गेम-चेंजर” साबित होगा। इसके शुरू होने के बाद यह क्षेत्रीय व्यापार के साथ-साथ बांग्लादेश और भूटान जैसे पड़ोसी देशों के साथ संपर्क को भी मजबूत करेगा। यह हमारी एक्ट ईस्ट और नेबरहुड फर्स्ट नीतियों के अनुरूप है। बेहतर मरम्मत ढांचा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार व्यापारिक संपर्क और क्षेत्रीय व्यापार को मजबूती देगा।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह पहल श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, कोलकाता (एसएमपीके) में भी मजबूत की जा रही है। पोर्ट ने गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ तकनीकी सहयोग बढ़ाया है।एसएमपीके ने मेदिनीपुर के पास जेलिंघम में 128 एकड़ भूमि आत्रेय शिपयार्ड प्राइवेट लिमिटेड को ड्राई डॉकिंग, जहाज मरम्मत और संबद्ध कार्यों के लिए आवंटित की है, जिससे पोर्ट की दीर्घकालिक क्षमता में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है।

शांतनु ठाकुर ने कहा कि यह कार्यक्रम सरकार की ‘जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के तहत पहले से बनी वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया की मल्टी-मॉडल टर्मिनलों की श्रृंखला को आगे बढ़ाता है। उद्देश्य है एक स्वावलंबी अंतर्देशीय जहाज पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण, जिसमें जहाजों का निर्माण, रखरखाव और मरम्मत सभी देश में ही हो। पर्यावरणीय दृष्टि से भी ये सभी सुविधाएं हरित और टिकाऊ समुद्री प्रथाओं पर आधारित हैं।

ठाकुर ने कहा, हर सुविधा में अपशिष्ट प्रबंधन, जल पुनर्चक्रण और ऊर्जा-कुशल प्रणालियों को अपनाया गया है, जिससे प्रधानमंत्री के ब्लू इकोनॉमी के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके। सरकार की ‘मैरीटाइम अमृत काल विजन-2047’ के तहत लक्ष्य भारत को विश्व की शीर्ष पांच समुद्री शक्तियों में शामिल करना है, जिसमें जहाज डिजाइन, निर्माण, मरम्मत और पुनर्चक्रण तक की पूरी मूल्य श्रृंखला विकसित की जा रही है।——————–

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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