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इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन और गलगोटिया यूनिवर्सिटी ने बाल संरक्षण पर विशेष कोर्स के लिए मिलाया हाथ

इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन और गलगोटिया यूनिवर्सिटी ने बाल संरक्षण पर विशेष कोर्स के लिए मिलाया हाथ की फाेटाे

नई दिल्ली, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । बाल अधिकारों से जुड़े कानूनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने व बाल संरक्षण रूपरेखा को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाते हुए इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने गलगोटिया यूनिवर्सिटी के साथ हाथ मिलाया है। दोनों के बीच हुए इस समझौते के तहत सी-लैब बाल संरक्षण क्षेत्र से जुड़े लोगों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों को जागरूक व प्रशिक्षित करने के लिए एक विशेष सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स की सीरीज शुरू करेगा। सी-लैब बाल सुरक्षा के क्षेत्र में शिक्षा व क्षमता निर्माण के लिए इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन का प्रमुख संस्थान है।

इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की कार्यकारी निदेशक संपूर्णा बेहुरा ने कहा कि यह सहयोग दो महत्वपूर्ण क्षमताओं को एक साथ लाता है जो एक दूसरे के पूरक हैं। इससे अकादमिक शोध और जमीनी वास्तविकताओं व अनुभवों का समन्वय होगा। हमारे मजबूत कानूनी अनुभव और जमीनी स्तर पर मामलों के संचालन की समझ हमें यह स्पष्ट बताती है कि अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले पेशेवरों को वास्तव में किस तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। बच्चों के खिलाफ अपराध जैसे-जैसे अधिक जटिल होते जा रहे हैं, हम पुराने तरीकों से काम नहीं चला सकते। हमें ऐसे प्रशिक्षित विशेषज्ञ चाहिए जो तकनीक, मनोविज्ञान, कानून और फील्ड की वास्तविकताओं को समझते हों। ये पाठ्यक्रम एक ऐसे बाल संरक्षण तंत्र के निर्माण में मदद करेगा जो हर बच्चे की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।

वहीं इस समझौते के तहत, सी-लैब और गलगोटिया यूनिवर्सिटी संयुक्त रूप से बाल संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहार विज्ञान, फॉरेंसिक इंटरव्यू और अपराध जांच से जुड़े पाठ्यक्रम विकसित और संचालित करेंगे। इनमें सी-सीम (बच्चों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार से जुड़ी सामग्री) और पॉक्सो मामलों की जांच से जुड़े विशेष कार्यक्रम भी शामिल होंगे।

भारत में जहां हर दिन बच्चों के खिलाफ 480 से अधिक अपराध दर्ज होते हैं (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो, 2023), ऐसे में यह पाठ्यक्रम देश के बाल संरक्षण तंत्र के स्वरूप को पूरी तरह बदल सकता है। इसका उद्देश्य खास तौर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अफसरों को ध्यान में रखते हुए फोरेंसिक जांच के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है। जिसमें उम्र का सत्यापन, पैसे के लेन-देन की छानबीन, ब्लाॅकचेन विश्लेषण, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलू और ऑनलाइन अपराधों में कानूनी रूप से स्वीकार्य साक्ष्य जुटाने जैसे कौशलों में प्रशिक्षित करेगा।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी