Uttar Pradesh

भारत और इंडिया को एक ही नहीं माना जा सकता: डॉ. शेषाद्रि चारी

बीएचयू में विशेष व्याख्यान

—बीएचयू में विशेष व्याख्यान

वाराणसी,07 अगस्त (Udaipur Kiran) । पूर्व संपादक व फोरम फॉर इंटीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी की महासचिव डॉ. शेषाद्रि चारी ने कहा कि भारत और इंडिया को एक ही नहीं माना जा सकता। क्योंकि भारत की सांस्कृतिक आत्मा और दर्शन ‘पंचभूत’ तत्वों की भांति है, जो सभी मनुष्यों के साथ समानता का व्यवहार करती है।

डॉ चारी गुरूवार को बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय में विशेष व्याख्यान को सम्बोधित कर रही थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय चेयर और रिसर्च एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवेलपिंग कंट्रीज़ नई दिल्ली के सहयोग से एच. एन. त्रिपाठी सभागार में आयोजित भारत के विश्व दृष्टिकोण और विदेश नीति विकास में समग्र मानववाद की भूमिका विषयक व्याख्यान में डॉ. शेषाद्रि चारी ने समग्र मानववाद की प्रासंगिकता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि स्वयं पं. दीनदयाल उपाध्याय को संघ की शाखाओं में मैने देखा और उनके विचारों को निकट से समझा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि संस्कृति भौगोलिक सीमाओं से परे होती है, जबकि सभ्यता एक भौतिक सीमित संरचना होती है। उन्होंने यह भी बताया कि समग्र मानववाद में राष्ट्रवाद और अंतरराष्ट्रीयता के बीच कोई संघर्ष नहीं है, बल्कि दोनों में एक सह-अस्तित्व की भावना है। व्याख्यान में पूर्व रेक्टर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रो. चिन्तामणि महापात्र ने डायनामिक न्यूट्रलिटी (गतिशील तटस्थता) की अवधारणा को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि किसी भी देश को स्थायी शत्रु नहीं माना जाना चाहिए और यह सोच भारत की कूटनीति में भी झलकती है। विशेष व्याख्यान में प्रो. अरविंद कुमार (अध्यक्ष, कनाडा, अमेरिका एवं लैटिन अमेरिका अध्ययन केंद्र, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़, जेएनयू) ने भी विचार रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीन, सामाजिक विज्ञान संकाय प्रो. बिंदा डी. परांजपे और समन्वयन प्रो. तेज प्रताप सिंह ने किया।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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