Chhattisgarh

वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सहकारी कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू

प्रदर्शन करते हुए सहकारी बैंक कर्मचारी।
जिला सहकारी बैंक में लगा हुआ है ताला।

धमतरी, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सहकारी-अधिकारी-कर्मचारियों ने चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है। मांग पूरी नहीं होने से नाराज कर्मचारियों ने बुधवार को सरकारी बैंक परिसर में नारेबाजी करते हुए शासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने कहा कि हड़ताल जारी रहेगी।

इधर सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से जिलेभर की प्राथमिक कृषि साख समितियों (सोसायटियों) में धान खरीद की तैयारी पर बुरा असर पड़ रहा है। किसान पंजीयन कार्य भी आंशिक रूप से प्रभावित हुआ है। 15 नवंबर से जिले की 100 सोसायटियों और 74 समितियों में समर्थन मूल्य पर धान खरीद शुरू होने जा रही है, लेकिन यदि कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए तो धान खरीदी की प्रक्रिया गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2024 में 1,28,344 किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था, जिनमें से 1,23,000 किसानों ने वास्तव में धान बेचा था। इस वर्ष किसानों को कैरिफॉरवर्ड सुविधा के साथ एग्रीस्टेक पोर्टल में भी पंजीयन कराना अनिवार्य किया गया है। अब तक पिछले वर्ष के आधार पर 1,19,957 किसानों का पंजीयन कैरिफॉरवर्ड हुआ है, जबकि 1,18,858 किसानों ने एग्रीस्टेक में पंजीयन कराया है। हालांकि 31 अक्टूबर से पोर्टल बंद होने के कारण छुटे हुए खसरों का पंजीयन कार्य बाधित है। तकनीकी दिक्कतों के चलते किसानों का डेटा अपडेट नहीं हो पा रहा है, जिससे पंजीकरण की प्रक्रिया में विलंब हो रहा है। कर्मचारी संगठन के बलरामपुरी गोस्वामी, केके साहू सहित अन्य सदस्यों का कहना है कि सरकार ने वर्षों से हमारी वेतन वृद्धि की मांग को अनदेखा किया है। जब तक न्यायपूर्ण निर्णय नहीं लिया जाता, आंदोलन जारी रहेगा।” इधर किसानों में चिंता बढ़ गई है कि यदि हड़ताल लंबी चली, तो धान खरीदी की प्रक्रिया और भुगतान पर असर पड़ सकता है।

ओटीपी नहीं मिलने से किसान असमंजस में

किसान पंकज देवांगन, दिनेश साहू, संतोष नागरची ने बताया कि एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन कराने के लिए किसानों को आधार कार्ड, ऋण पुस्तिका और आधार से लिंक मोबाइल नंबर की जरूरत पड़ रही है। पंजीयन कराने पर किसान के मोबाइल नंबर में तीन बार ओटीपी आता है। इसमें से कई किसान तो ऐसे हैं, जिनके मोबाइल नंबर में ओटीपी ही जनरेट नहीं हो रहा है। ऐसे किसानों की कुल संख्या लगभग सात हजार से अधिक है। ऐसे में किसान असमंजस की स्थिति में है। इधर शासन ने स्पष्ट कह दिया है कि यदि किसान का एग्रीस्टेक में पंजीयन नहीं हुआ तो वे धान नहीं बेच पाएंगे।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा