Haryana

हिसार : गांधी जयंती पर आज के दौर में साम्राज्यवाद व गांधीजी विषय पर सेमिनार का आयोजन

कार्यक्रम में नारेबाजी करते डेमोक्रेटिक फ्रंट के पदाधिकारी।

हिसार, 2 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । डेमोक्रेटिक फोरम की ओर से गांधी जयंती के अवसर

पर सर्वोदय भवन में ‘आज के दौर में साम्राज्यवाद व गांधीजी’ विषय पर सेेमिनार का

आयोजन किया गया। इसमें सीटू के राज्य उपाध्यक्ष कामरेड सुरेन्द्र मलिक मुख्य वक्ता

रहे जबकि फोरम के प्रधान योगेश शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मंच संचालन सचिव

सत्यवीर सिंह ने किया।

सेमिनार को सर्वोदय भवन के संचालक धर्मवीर शर्मा ने गुरुवार काे संबोधित किया और कहा कि

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़े स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उपजे आदर्श

व सविंधान मे निहित संकल्प जिसमें उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद से स्वाधीनता, लोकतंत्र,

धर्मनिरपेक्षता, समानता, आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय व आत्मनिर्भरता हमारी राष्ट्र

निर्माण की नीतियों के मार्गदर्शक रहे हैं। यद्यपि देश के विभिन्न भागों मे अंग्रेजों

की नीतियों के विरूद्ध आंदोलन हुए पर गांधी जी द्वारा रोल्ट एक्ट के विरूद्ध किया गया

आंदोलन अखिल भारतीय स्तर का देेश में पहला आंदोलन था। इस आंदोलन ने देश को एक नई राष्ट्रीय

पहचान दी। अहिंसा व सत्याग्रह के शांतिपूर्ण आंदोलन न केवल देश में ब्रिटिश साम्राज्यवाद

के विरुद्ध प्रेरणास्रोत बने बल्कि दक्षिणी अफ्रीका व अन्य देशों के स्वतंत्रता आंदोलन

भी इस से प्रेरित हुए। सम्प्रभुता की पहली शर्त आत्मनिर्भरता है।

साम्राज्यवादी राष्ट्रों

के असहयोग व विरोध के बीच देश ने आत्मनिर्भरता की राह के चलते औद्योगिकीकरण, भूमि सुधार

बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, शिक्षा व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र महत्वपूर्ण प्रगति की।

सोवियत रुस के 1991 में विघटन के बाद साम्राज्यवादी देशों ने छोटे, गरीब व अल्पविकसित

राष्ट्रों के शोषण की गति तेज कर दी। इनके सैनिक संगठन नाटों मे सदस्य संख्या दोगुनी

हो गई है। सन् 2001से 2021 की अवधि में ही अमेरिकन सैनिक अभियानों मे 8 लाख से ज्यादा

मौतें हुई हैं, तीन करोड़ से अधिक लोग बेघर हुए है, अनेक राष्ट्रों ने अपनी सम्प्रभुता

व स्वतन्त्रा खोई है तथा पीडि़त राष्ट्र बर्बादी, गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी की मार

झेल रहे हैं। अमेरिका हथियारों का सबसे बड़ा विक्रेता रहा है जिसका हथियार की बिक्री

में 40त्न हिस्सा है। रुस की क्रांति के बाद बहुत से देशों मे चल रहे स्वतंत्रता के

आंदोलन सफल हुए। नवोदित राष्ट्रों को प्रभुत्व मे लेने व उनके संसाधनों पर कब्जे के

लिए नये प्रतिबंध व सैनिक अभियान किए जा रहे हैं। आज अमेरिका के नियंत्रण मे ही 80

देशों मे लगभग 750 सैन्य अड्डे है।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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