
शिमला, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मानसून अपने आखिरी चरण में भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते 24 घंटों में राज्य के कई हिस्सों में जमकर बारिश हुई। राजधानी शिमला में भी गुरुवार को दिनभर बादल बरसते रहे। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने बताया कि 19 और 20 सितम्बर को मैदानी और मध्यपर्वतीय इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश होगी। इसके बाद 21 से 23 सितम्बर तक मैदानी इलाकों में मौसम साफ रहेगा और 24 सितम्बर को हल्की बारिश की संभावना है। उच्च पर्वतीय इलाकों में 24 सितम्बर तक मौसम साफ रहने का अनुमान है। विभाग ने कहा कि आगामी छह दिनों तक कहीं भी भारी बारिश की चेतावनी नहीं है और सितंबर के आखिरी दिनों में मानसून प्रदेश से रूखसत हो जाएगा।
बारिश और भूस्खलन ने प्रदेश के कई इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। बिलासपुर जिले के ऋषिकेश इलाके में गुरूवार को भूस्खलन से एचआरटीसी की दो बसें मलबे में फंस गईं। गनीमत रही कि चालक और परिचालक सुरक्षित रहे और बसों को क्रेन से बाहर निकाला गया। बिलासपुर के नैना देवी में बीते 24 घण्टों में सबसे ज्यादा 140 मिमी और मुख्यालय में 120 मिमी बारिश दर्ज हुई। काहू में 90 मिमी और सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में 80 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई। सोलन जिले के बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र झाड़माजरी में कोटला नाले के उफान पर आने से आधा दर्जन उद्योगों के भवनों में पानी घुस गया। मंडी जिले के सैन मोहल्ले में छोटे नाले ने तबाही मचाई। जीरो प्वाइंट के पास भारी मलबा और पानी कई वाहनों को चपेट में ले गया और लोगों के घर-दुकानों में कीचड़ भर गया। कांगड़ा जिले में पौंग बांध का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है।
लगातार बारिश से सड़कों के अवरुद्ध होने से एक बार फिर यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार गुरुवार शाम तक प्रदेश में दो नेशनल हाईवे और 604 सड़कें यातायात के लिए बंद रहीं। इनमें कुल्लू और ऊना के नेशनल हाईवे भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा 202 सड़कें कुल्लू में, 198 मंडी में, 51 शिमला में और 40 कांगड़ा में ठप पड़ी हैं। बारिश और भूस्खलन से बिजली व पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित रही। प्रदेशभर में अब तक 228 ट्रांसफार्मर और 221 पेयजल योजनाएं बंद हो चुकी हैं। अकेले मंडी में 143 ट्रांसफार्मर और 126 पेयजल योजनाएं प्रभावित रहीं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस मानसून सीजन में अब तक 424 लोगों की मौत हो चुकी है। 481 लोग घायल और 45 लोग लापता हैं। अकेले मंडी जिले में 66 लोगों ने जान गंवाई, कांगड़ा में 57, चंबा में 50 और शिमला में 47 मौतें दर्ज हुईं। अब तक 1,604 मकान पूरी तरह ढह चुके हैं और 7,025 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। पशुधन को भी बड़ा नुकसान हुआ है। 2,458 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है।
राज्य सरकार के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक अब तक का कुल नुकसान 4,749 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। सबसे ज्यादा क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुई है। मानसून सीजन में अब तक 146 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 46 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
