
सहारनपुर, 28 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विजयादशमी पर अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह शताब्दी वर्ष केवल संघ का उत्सव नहीं, अपितु सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र के लिए नवचेतना, आत्ममंथन एवं दृढ़ संकल्प का ऐतिहासिक अवसर है। संघ एक शताब्दी के अनुभव के साथ राष्ट्रहित और समाजोत्थान के लक्ष्य को और अधिक गति देने के लिए तत्पर है।
विजयदशमी उत्सव 2025 के अंतर्गत इस सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज महानगर सहारनपुर मे 12 नगरों की 15 बस्तियां में भव्य आयोजन सम्पन्न हुए। उत्सव का आरम्भ प्रातःकालीन बौद्धिक सत्रों से हुआ, जिसमें समाज के प्रतिष्ठित विचारकों ने राष्ट्र निर्माण, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और संगठनात्मक भूमिका पर सारगर्भित विचार रखे।
बौद्धिक सत्रों के पश्चात नगरों में पथ संचलन का आयोजन हुआ, जिसमें समाज के सभी वर्गों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली। पथ संचलन में स्वयंसेवकों की संख्या उल्लेखनीय रही। बाल, तरुण और प्रौढ़ सभी आयु वर्ग के स्वयंसेवकों ने पूर्ण अनुशासन और गरिमा के साथ सहभागिता की। संचलन मार्ग पर नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया, जिससे वातावरण में उल्लास और गौरव की भावना व्याप्त हो गई।
इस अवसर पर विविध नगरों में प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें संगठन की गतिविधियों, सेवा कार्यों, सांस्कृतिक धरोहरों और प्रेरणादायक प्रसंगों को चित्रों, मॉडल्स और डिजिटल माध्यमों से प्रस्तुत किया गया। प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में नागरिकों, विद्यार्थियों और परिवारों ने सहभागिता की और संगठन के कार्यों को निकट से समझा।
विजयदशमी उत्सव के इस चरण ने समाज में संगठन के प्रति विश्वास, उत्साह व सहभागिता की भावना को और अधिक सुदृढ़ किया। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक रहा, बल्कि सामाजिक समरसता और राष्ट्रभक्ति की भावना को भी पुष्ट करने वाला सिद्ध हुआ।
विभिन्न स्थानो पर वक्ताओं ने संघ शताब्दी वर्ष के विषय मे बताते हुए शताब्दी वर्ष के उद्देश्य, प्रतीक एवं प्रेरणा की चर्चा की। उन्होने बताया कि यह शताब्दी वर्ष भारत की सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक समरसता और संगठन शक्ति का उत्कर्ष करने का ऐतिहासिक अवसर है। इसका उद्देश्य सामूहिक आत्ममंथन द्वारा परिवार, समाज और प्रत्येक नागरिक में उत्तरदायित्व-बोध को जागृत करना है।
शताब्दी वर्ष का लक्ष्य है: समरस, सशक्त एवं संगठित भारत का निर्माण करना।
पंच परिवर्तन अभियान– शताब्दी की आत्मा
शताब्दी वर्ष का केंद्रीय भाव ‘पंच परिवर्तन अभियान’ में निहित है। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाना है। यह अभियान पाँच मुख्य आयामों पर केंद्रित है:-
स्व : स्व आधारित जीवन अपनाना – जैसे स्व-भाषा, स्व-भूषा (पोशाक), स्व-पूजा, स्व-भोजन, स्व-भ्रमण, स्व-भवन और स्व-परंपरा।
कुटुम्ब प्रबोधन : परिवार को संस्कारित व मजबूत आधार प्रदान करना।
नागरिक कर्तव्य : उत्तरदायित्वों का निर्वहन और राष्ट्र के प्रति समर्पित जीवन जीना।
सामाजिक समरसता : समानता, भाईचारा और परस्पर सहयोग को बढ़ावा देना।
पर्यावरण संरक्षण : प्रकृति, संसाधनों और भविष्य की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील होना।
शताब्दी वर्ष के प्रमुख कार्यक्रम और अभियान
शताब्दी वर्ष को एक राष्ट्रव्यापी जनआंदोलन बनाने हेतु संघ द्वारा अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
पथ संचलन: शताब्दी वर्ष का शंखनाद संघ स्थापना दिवस विजयादशमी पर पथ संचलन से प्रारम्भ होकर वर्ष भर चलता रहेगा। इसके अंतर्गत बस्ती स्तर पर 28 सितम्बर से 5 अक्टूबर तक पूर्ण गणवेश में अनुशासित पथ संचलन किए जाएंगे। जिनका उद्देश्य समाज में अनुशासन, संगठन शक्ति एवं एकात्मता का संदेश देना होगा।
व्यापक ग्रह सम्पर्क: 1 नवम्बर से 30 नवम्बर तक गृह संपर्क अभियान चलेगा जिसमें स्वयंसेवकों की टोलियाँ घर-घर जाकर परिवारों से संपर्क करेंगी और शताब्दी वर्ष की गतिविधियों की जानकारी साझा करेंगी।
हिन्दू सम्मेलन: 11 जनवरी से 15 फरवरी 2026 के बीच बस्ती स्तर पर हिंदू सम्मेलन आयोजित होंगे ताकि समाज के विभिन्न घटकों को एकजुट कर सांस्कृतिक जागरण और राष्ट्रहित में सहभागिता सुनिश्चित की जा सके।
प्रमुख जन गोष्ठी: जिला और नगर स्तर पर प्रमुख जनों की गोष्ठियाँ आयोजित की जाएंगी जिनमें प्रबुद्ध नागरिकों, समाज सेवियों और विभिन्न क्षेत्रों के प्रभावी व्यक्तियों को साथ लाकर समाज एवं राष्ट्र के उत्थान पर चर्चा होगी।
सद्भाव बैठक: अप्रैल 2026 में नगर स्तर पर सद्भाव बैठकें आयोजित होंगी, जिनमें संत-महात्माओं और समाज के विविध वर्गों को जोड़कर सामाजिक समरसता का वातावरण बनाया जाएगा।
युवा सम्मेलन: 15 अगस्त से 17 सितम्बर 2026 के बीच युवा सम्मेलन होंगे जिनमें युवाओं में राष्ट्रभावना, कर्तव्यनिष्ठा और संगठनात्मक शक्ति को जागृत करने पर बल दिया जाएगा।
शाखा सप्ताह: वर्ष के अंतिम चरण में 27 सितम्बर से 4 अक्टूबर 2026 तक अधिकतम शाखा अभियान चलेगा जिसमें शाखा को व्यक्ति निर्माण की इकाई मानते हुए प्रौढ़ शाखा, तरुण शाखा, तरुण व्यवसायी शाखा और बाल शाखा — इन चार प्रकार की शाखाओं के विस्तार पर विशेष बल दिया जाएगा। इन कार्यक्रमों की श्रृंखला विजयादशमी से आरम्भ होकर पूरे देश में नई ऊर्जा का संचार करेगी।
(Udaipur Kiran) / MOHAN TYAGI
