

पलवल, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । हथीन उपमंडल के मंढनाका और आसपास के दो दर्जन गांवों में सेम (जलभराव) की समस्या ने किसानों की कमर तोड़ दी है। हजारों एकड़ जमीन पिछले 15 वर्षों से पानी में डूबी हुई है, जिस कारण खेती पूरी तरह ठप हो चुकी है। खेतों में दो से ढाई फुट पानी जमा होने से न तो कोई फसल उग पा रही है और न ही किसानों के पास आय का कोई साधन बचा है। निराशा और कर्ज के बोझ तले दबे किसान अब गांव छोड़ने या आत्महत्या जैसे कठोर कदमों की बात कर रहे हैं।
जलभराव ने छीना जीविका का आधार मंढनाका गांव के किसान बीर सिंह ने मंगलवार को बताया, हमारे खेत किसी नदी जैसे दिखते हैं। सात-आठ साल से एक दाना भी नहीं उगा। कर्ज लेकर बच्चों की फीस और घर का खर्च चला रहे हैं। रामजीलाल ने कहा, पशुओं का चारा और अनाज भी उधार लेना पड़ रहा है। जलभराव के कारण जमीन बंजर होने से सामाजिक जीवन भी प्रभावित हुआ है। डॉ. शीशपाल ने बताया, लड़कों के रिश्ते तक नहीं हो रहे, क्योंकि कोई अपनी बेटी ऐसी जगह नहीं देना चाहता जहां जमीन बेकार पड़ी हो। कई किसानों के पशु कर्ज चुकाने के लिए बिक चुके हैं। अमरजीत सिंह, जो किसानों की ओर से अधिकारियों से पैरवी कर रहे हैं, ने कहा, किसानों के पास अब दो ही रास्ते बचे हैं।
जमीन बेचकर गांव छोड़ दें या आत्महत्या कर लें। सरकारी प्रयास विफल, करोड़ों रुपये बर्बाद सरकार ने सेम की समस्या के समाधान के लिए भारी-भरकम राशि खर्च की, लेकिन नतीजा शून्य रहा। मंढनाका गांव में ही 77 लाख रुपये खर्च कर 20 अगस्त 2022 को ट्यूबवेल लगाए गए, जो गलत डिजाइन, कमजोर पाइपलाइन, लीकेज, और बिजली कनेक्शन की कमी के कारण बेकार साबित हुए। हथीन उपमंडल के विभिन्न गांवों में इस समस्या के लिए अब तक 12 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। पहले चरण में लगाए गए 52 ट्यूबवेल में से आधे ही काम कर रहे हैं।
एसडीओ रियाज खान ने मंगलवार को बताया कि दूसरे चरण में 59 नए पंप लगाए जा रहे हैं, जिन पर काम चल रहा है। उन्होंने दावा किया, तीन-चार साल में सेम की समस्या खत्म हो जाएगी। वहीं, पलवल के जिला उपायुक्त डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ ने कहा, यह समस्या गंभीर है। प्राथमिक उपाय के तौर पर पंपसेट लगाए गए हैं, और जल्द ही 78 करोड़ रुपये की लागत वाला एक नया प्रोजेक्ट शुरू होगा।
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(Udaipur Kiran) / गुरुदत्त गर्ग
