नालंदा, बिहारशरीफ 29 सितंबर (Udaipur Kiran News) । दशकों तक बाल विवाह के मामलों में सुर्खियों में रहने वाला बिहार का नालंदा जिला अब बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है। शोध रिपोटिपिंग प्वाइंटटू जीरो : एवि डेंस टुवर्ड्स एचाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया ” के अनुसार, राज्य में लड़कियों के बाल विवाह में 70 प्रतिशत और लड़कों के बाल विवाह में 68 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। यह रिपोर्ट बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे 250 से अधिक संगठनों के नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉरचिल्ड्रेन जेआरसी द्वारा जारी की गई है।
इसमें कहा गया कि खराब आर्थिक स्थिति (90%), बच्चों के लिए उपयुक्त जोड़ीदार मिलने की सो च(65%) और सुरक्षा के सवाल (39%) अब भी बाल विवाह के प्रमुख कारण हैं।नालंदा जिले में कार्यरत सहयोगी संगठन आइडिया संस्था ने पिछले तीन वर्षों में जिला प्रशासन, पंचायतोंऔर सामुदायिक सदस्यों के साथ समन्वय कर300 से अधिक बालविवाह रुकवाए हैं।
सर्वे में शामिल बिहार के 150 गांवों में 92% लोगों ने माना कि उनके गांवों में बाल विवाह पूरी तरह बंद हो चुका है या काफी हद तक कम हो गया है। वहीं , 99% उत्तरदाताओं को बालविवाह से जुड़े कानूनों की जानकारी है, जिनमें से 89% ने कहा कि यह जानकारी उन्हें गैरसरकारी संगठनों से मिली ।
आइडिया की निदेशक रागिनी कुमारी ने कहा कि अब बदलाव की धारा बह रही है और परिणाम अभूतपूर्व हैं। वहीं जस्टराइट्स फॉर चिल्ड्रेनके संयोजक रवि कांत ने कहा कि पंचायतों की जवाबदेही तय करने और जागरूकताअभियान चलाने जैसे नीति गत कदमों से बदला व संभव हुआ है।रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि बाल विवाह को 2030 तक पूरीतरह खत्म करने के लिए कानून का कड़ाई से पालन विवाह का अनिवार्य पंजीकरण, बेहतर रिपोर्टिंग व्यवस्था और बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल की जागरूकता आवश्यक है। साथ ही ,एक राष्ट्रीय बाल विवाह विरोधी दिवस घोषित करने की भी सिफारिश की गई है।
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(Udaipur Kiran) / प्रमोद पांडे
