
जींद, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । नरवाना क्षेत्र के सच्चा खेड़ा गांव में किसानों ने लगभग 15 एकड़ धान की खड़ी फसल में ट्रैक्टर चला कर उसे नष्ट करने का काम किया। किसानों का आरोप है कि उन्हें घटिया किस्म का बीज दिया गया था। इसके कारण धान की ग्रोथ नहीं हुई और मजबूरी में उन्हें फसल को नष्ट करना पड़ा। पहले बीज खरीद, पौध, फिर रोपाई और स्प्रे पर प्रति एक 15 हजार रुपये के हिसाब से उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है। कृषि विभाग को इसकी शिकायत की गई तो विभाग के अधिकारियों ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि बीज में कोई समस्या नही है। धान को ज्यादा गहराई में लगा दिया है। जिसके कारण धान की फसल में बढ़ोत्तरी नही हुई।
नरवाना क्षेत्र के सच्चा खेड़ा गांव के किसान बबलू, तेजवीर, रामभगत, राजेश, सुरेश ने बताया कि उन्होंने अलग-अलग दुकानों से एक ही कंपनी का बीज खरीदा था। उसके बाद उनके द्वारा पौध तैयार कर उसको मजदूरों से खेतों में लगवा दिया था। परंतु समय के साथ धान की फसल की बढ़ोतरी नहीं हुई। जिससे उनको शक हुआ कि धान के बीज में कोई समस्या है और इसकी शिकायत कृष विभाग के अधिकारियों की लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। मजबूरी में उन्हें धान की खड़ी फसल में ट्रैक्टर चला कर इसको नष्ट करना पड़ा ताकि दोबारा से धान की पौध लगा सकें। करीब 15 एकड़ फसल को नष्ट किया गया है। अब उनके सामने यह समस्या हो गई है कि अब पौध भी नहीं मिल रही है ताकि धान की फसल की दोबारा रोपाई कर सकें। किसानों ने बताया कि पहले एक हजार रुपये प्रति थैली धान का बीज खरीदा था। उसके बाद चार हजार रुपये रोपाई पर लग गए।
फिर स्प्रे पर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्चा आ गया। अब दोबारा फिर धान की फसल लगाने पर लगभग 15 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्चा आएगा। उन्होंने कहा कि उनके गांव में 200- 250 एकड़ में धान के बीज के कारण समस्या आई हुई है। लेकिन उनकी कोई सुनवाई न होने के कारण वे मंत्री कृष्ण बेदी से मिलेंगे और उनको अपनी समस्या से अवगत करवाएंगे। अगर वहां भी समस्या का समाधान नहीं हुआए तो वे सीएम विंडो लगाएंगे। रविवार को कृषि एवं कल्याण विभाग नरवाना के एसडीओ सुनील दलाल ने बताया कि कृषि अनुसंधान केंद्र कौल द्वारा एडवाइजरी जारी हुई है। बीज में समस्या है तो उसके सैंपल लिए जाएंगे। बीज में दिक्कत होती तो धान की पौध नही उगती। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। प्रभावित खेतों की बीज विक्रेता को साथ लेकर विजिट शनिवार को की गई है। रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों से भी इस संबंध में राय ली जाएगी।
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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा
