HimachalPradesh

हिमाचल में दो साल में आपदाओं में 231 लोगों की मौत, 21 जगह लगाए गए भूस्खलन सेंसर

शिमला, 29 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में हर साल मानसूनी आपदाओं में लोगों की जान जा रही है। खासतौर पर बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आकर कई लोगों की मौत हो रही है। विधानसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2023 से 31 जुलाई 2025 तक भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में कुल 231 लोगों की जान गई। इसमें 133 लोगों की मौत भूस्खलन की चपेट में आने से हुई, जबकि 98 लोग बादल फटने और बाढ़ के कारण मारे गए।

राजस्व मंत्री ने यह जानकारी विधायक डॉक्टर जनक राज के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि मंडी जिले में बादल फटने और बाढ़ से सबसे अधिक 35 लोगों की मौत हुई, जबकि भूस्खलन से 21 लोगों ने अपनी जान गंवाई। शिमला जिले में भूस्खलन के कारण 57 लोगों की मृत्यु हुई और बादल फटने व बाढ़ से 21 लोगों की जान गई। बिलासपुर जिले में भूस्खलन से दो और बादल फटने व बाढ़ से एक व्यक्ति की मौत हुई। चंबा जिले में भूस्खलन से 16 और बादल फटने व बाढ़ से तीन लोगों की जान गई।

हमीरपुर जिले में भूस्खलन से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई, जबकि कांगड़ा जिले में भूस्खलन से दो और बादल फटने व बाढ़ से सात लोग मारे गए। किन्नौर जिले में भूस्खलन से चार लोगों की जान गई, जबकि बादल फटने व बाढ़ से कोई मौत नहीं हुई। कुल्लू जिले में भूस्खलन से 14 और बादल फटने व बाढ़ से 18 लोगों की मौत हुई। लाहौल-स्पीति जिले में दोनों कारणों से कुल चार लोगों की जान गई। सिरमौर जिले में भूस्खलन से चार और बादल फटने व बाढ़ से सात लोगों की मौत हुई। सोलन जिले में भूस्खलन से आठ और बादल फटने व बाढ़ से एक व्यक्ति की जान गई। उना जिले में भूस्खलन से दो और बादल फटने व बाढ़ से तीन लोग मारे गए। हमीरपुर और किन्नौर जिलों में बादल फटने व बाढ़ से कोई मौत नहीं हुई है।

राजस्व मंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए 21 स्थानों पर आईआईटी मंडी के साथ मिलकर भूस्खलन सेंसर लगाए हैं। ये सेंसर क्षेत्र विशेष के लिए चेतावनी जारी करते हैं और स्थानीय प्रशासन को तत्काल जानकारी उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा केंद्रीय जल आयोग नदियों के जलस्तर की लगातार निगरानी करता है और बाढ़ से जुड़े बुलेटिन दिन में एक बार जारी करता है। वर्तमान में सतलुज, रोपा खड्ड, बसपा, स्पीति-ब्यास, पिन, ओहल, स्वां और सुकेती खड्ड पर यह प्रणाली स्थापित की गई है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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