Madhya Pradesh

अनूपपुर: मॉ नर्मदा के आंचल में आयुर्वेद चिकित्सा का वरदान, विलुप्त ‘वच’ नामक एक औषधि याददाश्त करती है तेज

वच जिसे स्वीट फ्लैग का पाैधा
वच की जड्

अनूपपुर, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर में स्थित अमरकंटक मां नर्मदा का उद्गम स्थल जिसे प्रदेश की जीवनदायनी नदी कहा जाता है। नर्मदा के उद्गम के साथ अमरकंटक में शीशम, सागौन और साल का घना जंगल होता था, जहां सूरज की किरणें भी नहीं पहुंचती थी। वर्ष 1998 में प्रदेश सरकार ने साल बोरर के नाम पर 30 लाख से अधिक पेड़ काटे जिससे अब अमरकंटक के जंगलों में माफियाओं की पहुंच हो गई हैं।

अमरकंटक मैकल पर्वत श्रेणी की सबसे ऊंची श्रृंखला है, जहां देश के कोने-कोने व विदेशों के सैलानियों का आना-जाना बना रहता है। यहा कई औषघि पाई जाती हैं जिसमें गुलबकाबली का पौधा मुख्य पहचान रखता हैं। इसके अलावा ऐसे कई औषधी युक्त पौधे लुप्ल हैं जिन्हें ढुढ पाना किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। इसी में एक ‘वच’ नामक एक औषधि पाई जाती है जो कि कई रोगों के इलाज में बेहद कारगर होती है। आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है।

औषधीय गुणों से भरपूर से ये पौधा

औषधीय गुणों से युक्त ‘वच’ को स्वीट फ्लैग के नाम से जाना जाता है। यह ऐसा पौधा है जो सदियों से आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके औषधीय गुण पाचन को सुधारने के साथ-साथ तंत्रिका तंत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। ‘वच’ मुख्य रूप से दलदलों और नदियों के किनारे पाया जाता है। पौधे का मुख्य हिस्सा उसका प्रकंद (जड़) होता है, जिसे औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। यह पौधा भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं।

पाचन, यादाश्त जैसी कई बीमारियों के लिए माना जाता है कारगर

आयुर्वेदाचार्य जयशर्मा बताते हैं कि अमरकंटक में मिलने वाला यह ‘वच’ औषधी के रूप में काफी फायदेमंद माना जाता है। वच को सुखाकर पीसकर इसे चूर्ण बनाकर सुबह शाम खाली पेट लेने से जिनकी याददाश्त कमजोर हो तथा मानसिक बीमारी में यह बहुत कारगर साबित होता है। जिस व्यक्ति को मिर्गी के अटैक आते उसमें भी वच का प्रयोग कर सकते हैं। ताजे वच का रस 50 ग्राम निकालकर 250 का ग्राम घी में उबालना है, इसके 2 बूंद नाक में डालने से मानसिक रोगी, मिर्गी, याददाश्त में कमी जैसी बिमारियों में तेजी से लाभ मिलता है।

रंपरिक चिकित्सा पद्धति में होता है वच का इस्तेमाल

वच का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में विभिन्न शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया गया है। उदाहरण के लिए, इसे ब्रोन्कियल सर्दी, अस्थमा, बुखार, पेट के ट्यूमर, गठिया, और एग्िखढुमा जैसी बीमारियों में सहायक पाया गया है। वच का उपयोग जड़ी-बूटियों के रूप में पाउडर, बाम और काढ़े के रूप में किया जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसे श्वसन, पाचन और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला

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