
नई दिल्ली, 4 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने कोरोना वैक्सीन को युवा वयस्कों में अचानक मृत्यु से जोड़ने वाले दावों को खारिज कर दिया है। आईएमए ने शुक्रवार एक बयान में कर्नाटक के हासन जिले में युवा वयस्कों में हृदय रोग से संबंधित मौतों में अचानक वृद्धि पर राज्य के मुख्यमंत्री के हालिया बयान को भ्रामक बताया। आईएमए ने कहा कि यह सही तस्वीर नहीं दर्शाता है। भारत में हार्ट अटैक की घटना वैश्विक स्तर पर देखी गई घटनाओं से अधिक है, लेकिन इस प्रवृत्ति का कोरोना टीकाकरण से कोई संबंध नहीं है। जीवनशैली में व्यापक बदलाव इसके पीछे कारण हो सकता है। साथ ही इसके पीछे इंसुलिन प्रतिरोध, कार्डियोवास्कुलर डिजीज का सकारात्मक पारिवारिक इतिहास और कुछ आनुवंशिक कारकों सहित पहले से मौजूद सह-रुग्ण स्थितियों का प्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है।
आईएमए ने कहा कि आईसीएमआर ने भारत में 18-45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु से जुड़े कारकों पर एक अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला कि कोरोना टीकाकरण ने युवा वयस्कों में अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु के जोखिम को नहीं बढ़ाया। इसी तरह का निष्कर्ष
एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में भी निकला है। आईएमए ने कहा कि ‘कोरोना टीकों से अचानक मृत्यु होती है- जैसे बयानों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
इस संबंध में चिकित्सा बिरादरी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा जारी किए गए ऐसे किसी भी बयान की निंदा करती है, जिसमें हासन जिले में हाल ही में हुई युवा वयस्कों की मौतों के साथ कोरोना टीकाकरण को जोड़ा गया हो। आईएमए ने कहा कि यह भी अस्वीकार्य है कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी ठोस सबूत के ऐसे बयान जारी करे, जिससे उन लाखों लोगों में घबराहट और डर पैदा हो सकता है, जिन्होंने टीके लगवाए थे। जबकि टीके ने इस दौरान कई लोगों की जान बचाई थी।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
