
मंडी, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज के डॉ. प्रभाकर पालनी और डॉ. अमल सरकार को उनकी अंतरराष्ट्रीय टीम के साथ प्रतिष्ठित फंडामेंटल फिजिक्स ब्रेकथ्रू प्राइज 2025 से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान सीईआरएन में एटीएलएएस, एएलआईसीई और सरएमएस प्रयोगों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है, जिसने 2015 से 2024 के बीच दूसरे रन के दौरान मौलिक कण भौतिकी की समझ को गहराई दी। ब्रेकथ्रू प्राइज उन अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों को सम्मानित करता है जिन्होंने मानवता की ब्रह्मांड को समझने की क्षमता को बढ़ाया है। इस वर्ष का पुरस्कार 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि के साथ आया है, जिसे सीईआरएन एंड सोसाइटी फाउंडेशन को दान कर दिया गया है। इस राशि का उपयोग पीएचडी और समर छात्रों को अनुदान प्रदान करने के लिए किया जाएगा, ताकि वे सीईआरएन में अनुसंधान का मूल्यवान अनुभव प्राप्त कर सकें। यह अवसर युवा वैज्ञानिकों को अत्याधुनिक सुविधाओं और ज्ञान तक सीधी पहुंच प्रदान करेगा, जिसे वे अपने देशों में वापस लाकर आगे बढ़ा सकें।
ज्ञात हो कि लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर विश्व का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली कण त्वरक है, जो प्रोटॉन या आयन को प्रकाश की गति के निकट धकेल कर उन्हें टकराता है, ताकि ब्रह्मांड की मौलिक संरचना को समझा जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य भौतिकी के स्टैंडर्ड मॉडल का परीक्षण करना था, जिसके तहत 2012 में हिग्स बोसॉन की खोज हुई। एलएचसी वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करता है कि कणों को द्रव्यमान कैसे मिलता है, बिग बैंग के ठीक बाद के हालात को पुनः उत्पन्न करता है और डार्क मैटर जैसे अज्ञात कणों की खोज करता है। यह तकनीकी नवाचार जैसे सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट और कंप्यूटिंग में भी प्रगति लाता है। फ्रांस-स्विट्जरलैंड की सीमा पर जिनेवा के पास स्थित सीईआरएन वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग का केंद्र है, जो ब्रह्मांड के गहरे रहस्यों को समझने में सहायक है।
उल्लेखनीय है कि आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज में एक्सपेरिमेंटल पार्टिकल फिजिक्स ग्रुप की स्थापना डॉ. अमल सरकार और डॉ. प्रभाकर पालनी द्वारा की गई थी। 2024 में इस समूह ने सीईआरएन के सीएमएस कॉम्पैक्ट म्यूऑन सॉलिनॉयड सहयोग में आधिकारिक रूप से शामिल होकर वैश्विक उच्च ऊर्जा भौतिकी अनुसंधान में भारतीय संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की। सीईआरएन के बड़े प्रयोगों में इनकी सक्रिय भागीदारी आईआईटी मंडी की वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग में बढ़ती उपस्थिति को दर्शाती है और मौलिक भौतिकी में अत्याधुनिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने की संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह उपलब्धि न केवल आईआईटी मंडी की अनुसंधान क्षमता को दर्शाती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय उच्च ऊर्जा भौतिकी समुदाय में भारत के योगदान को भी रेखांकित करता है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
