



खड़गपुर, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । स्प्रिंगर नेचर इंडिया द्वारा आयोजित “इंडिया रिसर्च टूर 2025” के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर पहुंचने पर बुधवार को औपचारिक स्वागत किया गया। यह राष्ट्रीय पहल शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार तथा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के सहयोग से संचालित की जा रही है। इसका उद्देश्य देशभर के शोध संस्थानों के बीच सहयोग, समावेशिता और नवाचार को सशक्त बनाना है।
यह यात्रा 6 अक्टूबर से 13 नवंबर तक चलेगी और देश के 7 राज्यों के 15 शहरों में स्थित 29 प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों का भ्रमण करेगी। “इंडिया रिसर्च टूर 2025” का मुख्य उद्देश्य मुक्त अभिगम (ओपन एक्सेस), मुक्त विज्ञान (ओपन साइंस), शोध की ईमानदारी एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देना तथा ई-बुक अपनाने के माध्यम से विविधता और समावेशिता को प्रोत्साहित करना है।
आईआईटी खड़गपुर में कार्यक्रम की शुरुआत ध्वज प्रस्थान समारोह और वृक्षारोपण के साथ हुई। इसमें संस्थान के संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान भारत में शोध के भविष्य, मुक्त अभिगम प्रकाशन और शोध नैतिकता जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आईआईटी खड़गपुर के डीन (प्रशासन) एवं प्रभारी निदेशक प्रो. कमल लोचन पाणिग्रही के अलावा कैप्टन अमित जैन (से.नि.), आईआईटी खड़गपुर के रजिस्ट्रार वेंकटेश सर्वसिद्धि, स्प्रिंगर नेचर इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा डॉ. बी. सूत्रधार, आईआईटी खड़गपुर के पुस्तकालयाध्यक्ष तथा संस्थान के अन्य डीन, संकाय सदस्य, कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में प्रो. कमल लोचन पाणिग्रही ने कहा कि इंडिया रिसर्च टूर जैसे प्रयास अनुसंधान सहयोग और ज्ञान-साझाकरण के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करते हैं। यह पहल भारत में एक खुले, समावेशी और प्रभावी शोध पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
वेंकटेश सर्वसिद्धि ने कहा कि आईआईटी खड़गपुर भारत में शोध उत्कृष्टता का प्रतीक है। इस संस्थान का विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान सराहनीय रहा है। ‘इंडिया रिसर्च टूर’ के माध्यम से हम शोधकर्ताओं के बीच सहयोग को और मजबूत करना चाहते हैं, ताकि मुक्त अभिगम और नवाचार के माध्यम से देश की प्रगति में योगदान दिया जा सके।”
कार्यक्रम के दौरान टूर के प्रमुख उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला गया, जिनमें मुक्त अभिगम और वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन (ओएनओएस) के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना। शोध नैतिकता और प्रकाशन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की भूमिका पर संवाद को प्रोत्साहित करना शामिल हैं।
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(Udaipur Kiran) / अभिमन्यु गुप्ता
