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आईआईटी गांधीनगर टीम ने एएमसी मिडिल-स्कूल छात्रों के लिए पाठ्यक्रम सीखने की नई परिभाषा गढ़ी

एएमसी की शाला
एएमसी की शाला

एएमसी स्कूलों के साथ विषयों और पाठ्यक्रम को और अधिक रोचक बनाने के लिए आईआईटी गांधीनगर ने की साझेदारी

अहमदाबाद, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । गुजरात के आईआईटी गांधीनगर की टीम ने अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (एएमसी) स्कूलों के साथ विषयों और पाठ्यक्रम को और अधिक रोचक बनाने के लिए साझेदारी की है, ताकि साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स (एसटीईएम) लर्निंग को बड़े पैमाने की प्रदर्शनी, खिलौनों, पहेलियों और कला के माध्यम से जीवंत बनाया जा सके।

संस्था के जन संपर्क विभाग ने बताया कि अमरपुरा हिंदी शाला में एक विशेष परियोजना के तहत 20 छात्रों, प्राचार्यों और शिक्षकों ने

आईआईटीजीएन टीम के साथ मिलकर 10,000 पासों से एक अनोखी प्रदर्शनी बनाई। इस प्रदर्शनी में एक ओर महात्मा गांधी का चित्र है और दूसरी ओर लाल बहादुर शास्त्री का। यह विद्यालय, जिसकी स्थापना 1939 में हुई थी। यह एक धरोहर संस्था है जहाँ महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी आए थे। आईआईटी गांधीनगर टीम ने इस परियोजना को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती (2 अक्टूबर) पर उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में डिज़ाइन किया। एएमसी और आईआईटी गांधीनगर के बीच वर्षभर चलने वाली परियोजना के अंतर्गत 60,000 मिडिल-स्कूल छात्र रचनात्मक और रोचक तरीक़े से एसटीईएम अनुभव प्राप्त करेंगे।

इस पहल में प्रत्येक विद्यालय में हैंड्स-ऑन कार्यशालाएँ शामिल हैं, जिनमें छात्र प्रदर्शनी, खिलौने, मॉडल और पहेलियाँ बनाकर पाठ्यक्रम को खोजते हैं। छात्र और शिक्षक साप्ताहिक ऑनलाइन सत्रों में भी भाग लेते हैं, जिनका फोकस अनुभवात्मक शिक्षण पद्धति, वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास और गहन अध्ययन को प्रोत्साहित करने वाले असाइनमेंट या वैचारिक प्रश्न होते हैं। इसके अलावा, चुने गए 200 छात्रों को आईआईटी गांधीनगर टीम से और अधिक मार्गदर्शन मिलेगा ताकि वे एसटीईएम में करियर बना सकें।

राजेन्द्र राठौड़ (प्राचार्य, अमरपुरा हिंदी शाला) ने कहा कि “रचनात्मक विचार और गतिविधियाँ केवल छात्रों को ही नहीं, बल्कि हम जैसे बड़ों को भी उतनी ही (या शायद ज़्यादा) उत्साहित करती हैं! इनका अधिकांश हिस्सा बहुत साधारण सामग्री से संभव है, जैसे – कागज़, प्लास्टिक की बोतलें, सब्ज़ियाँ, अख़बार आदि, और इसी कारण सभी छात्रों को एक साथ शामिल करना संभव हो पाता है। शनिवार के ऑनलाइन सत्र के लिए अधिकांश कक्षाओं में मौजूद स्मार्ट टीवी का इससे अच्छा उपयोग और क्या हो सकता है।”

इमरोज़ खान पठान (एसटीईएम कंटेंट रिसर्चर, सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग, आईआईटी गांधीनगर) ने कहा, “इन बच्चों में ज्ञान की बहुत भूख है, हम बस इतना कर रहे हैं कि उन्हें उनके पाठ्यक्रम से जुड़ी रोचक और आकर्षक सामग्री दें, जिससे वे उसे अपनी ज़िंदगी से जोड़ सकें।”

दिलचस्प बात यह है कि इमरोज़ के पिता भी एएमसी में शिक्षक, प्राचार्य और रिसोर्स पर्सन के रूप में कार्यरत थे और पिछले महीने (जून 2025) ही सेवानिवृत्त हुए हैं। अब बेटा अपने पिता के विज़न को सभी 453 एएमसी स्कूलों में बड़े स्तर पर आगे बढ़ा रहा है।

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(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad

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