West Bengal

आईआईएम दुष्कर्म मामला : पीड़िता नहीं कर रही जांच में सहयोग

आईआईएम जोका

कोलकाता, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रबंधन संस्थान-कलकत्ता (आईआईएम-सी) के छात्रावास परिसर में 11 जुलाई की शाम कथित रूप से हुई बलात्कार की घटना की जांच में जटिलता नजर आ रही है। मामले की पीड़िता न केवल मेडिकल जांच के लिए पेश नहीं हुई, बल्कि वह सोमवार को अदालत में भी अपना गोपनीय बयान दर्ज कराने नहीं पहुंची।

इस प्रकरण में आरोपित छात्र परमानंद महावीर तोप्पन्नावर उर्फ परमानंद जैन (26) को 12 जुलाई को अदालत ने 19 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था। हालांकि, अब कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पीड़िता का जांच में सहयोग न करना जारी रहा, तो इससे आरोपित को कानूनी लाभ मिल सकता है।

पुलिस ने पीड़िता से कई बार आग्रह किया कि वह अनिवार्य मेडिको-लीगल जांच के लिए उपस्थित हो, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। सोमवार को उसे न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष गोपनीय बयान देने के लिए अदालत में उपस्थित होना था, लेकिन वह नहीं पहुंची। यहां तक कि वह मंगलवार को अदालत में पेशी के लिए भी उपस्थित नहीं हुई।

इसके अलावा, पीड़िता ने अब तक उस दिन पहने गए कपड़े भी पुलिस को सौंपे नहीं हैं। सबसे बड़ी उलझन तब पैदा हुई जब पीड़िता और उसके पिता के बयानों में विरोधाभास सामने आया। पीड़िता के पिता ने शुरू से ही यह दावा किया है कि उनकी बेटी के साथ कोई गलत घटना नहीं घटी है।

आरोपित छात्र के वकील ने अदालत से मांग की है कि पीड़िता की ओर से जांच में असहयोग और विरोधाभासी बयानों को लेकर अलग से जांच की जाए। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि इन परिस्थितियों को देखते हुए आरोपित की पुलिस हिरासत की अवधि कम की जानी चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता कौशिक गुप्ता ने कहा कि यदि पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद भी वह सहयोग नहीं करती है, तो इससे मुकदमे की बुनियादी मजबूती प्रभावित हो सकती है, जिससे आरोपित को लाभ मिल सकता है।

एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता अनिर्बान गुहा ठाकुरता ने कहा कि यदि पुलिस चाहे, तो यह जांच शुरू कर सकती है कि क्या पीड़िता द्वारा प्रारंभ में दी गई जानकारी भ्रामक थी या नहीं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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