
कोलकाता, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रबंध संस्थान-कलकत्ता (आईआईएम-सी) परिसर में बाहरी महिला के साथ कथित दुष्कर्म के मामले में शुरुआती जांच में यह साफ हो गया है कि संस्थान की सुरक्षा व्यवस्था में किसी तरह की चूक नहीं हुई थी।
कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, शुरू में जो आरोप लगाए गए थे कि पीड़िता परिसर में बिना जरूरी प्रवेश प्रक्रियाओं को पूरा किए लड़कों के छात्रावास तक पहुंच गई थी, वे जांच में निराधार साबित हुए हैं।
हरिदेवपुर थाने में दर्ज बयान के मुताबिक, पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वह परिसर में दाखिल होकर सीधे आरोपित छात्र के कमरे तक पहुंच गई थी, जहां उससे दुष्कर्म हुआ। लेकिन जांचकर्ताओं को आईआईएम-सी प्रबंधन की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों में यह जानकारी मिली है कि आरोपित छात्र परमानंद महावीर टोप्पन्नावर उर्फ परमानंद जैन (26), जो संस्थान में द्वितीय वर्ष का छात्र है, ने घटना से एक दिन पहले पीड़िता की नियोजित मुलाकात के बारे में ईमेल के माध्यम से संस्थान को सूचित किया था। यह ईमेल संस्थान के सुरक्षा प्रोटोकॉल का हिस्सा है।
फिलहाल आरोपित पुलिस हिरासत में है और उसे शनिवार को फिर से अदालत में पेश किया जाएगा। हालांकि, इस मामले में कई जटिलताएं सामने आई हैं, जिनमें प्रमुख है पीड़िता और उसके परिवार का जांच प्रक्रिया में सहयोग न करना।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता ने बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद अनिवार्य चिकित्सकीय जांच कराने से इनकार कर दिया। इसके अलावा, वह इस सप्ताह अदालत में भी पेश नहीं हुई, जहां न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उसका गोपनीय बयान दर्ज किया जाना था। इतना ही नहीं, उसने अब तक पुलिस को वे कपड़े भी नहीं सौंपे हैं जो उसने 11 जुलाई की शाम कथित घटना के समय पहने थे।
मामले को और उलझाने वाली बात यह है कि पीड़िता और उसके पिता के बयानों में भी विरोधाभास पाया गया है। जहां एक ओर पीड़िता ने दुष्कर्म की शिकायत की है, वहीं उसके पिता शुरू से ही इस बात पर अडिग हैं कि उनकी बेटी के साथ कुछ भी गलत नहीं हुआ।
गौरतलब है कि अदालत ने 12 जुलाई को आरोपित परमानंद को 19 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा था। अब यह देखना अहम होगा कि पीड़िता और उसका परिवार आगे जांच में सहयोग करते हैं या नहीं, क्योंकि मामला लगातार संदेह और उलझनों से घिरता जा रहा है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
