
अब नहीं मंगवानी पड़ती बाहर से मूर्तियां, स्थानीय कला ने लोगों का मन जीता’
हमीरपुर, 21 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के मौदहा तहसील के बिगहना गांव के मूर्तिकार भारत सिंह ने अपनी कला से पूरे इलाके में एक अलग पहचान बना ली है। पहले जहां त्यौहारों और धार्मिक आयोजनों पर लोग कानपुर, लखनऊ या चित्रकूट से मूर्तियां मंगवाते थे, अब वही जरूरत गांव की मिट्टी से तैयार मूर्तियों से पूरी हो रही है।
भारत सिंह और उनके परिवार ने पिछले तीन महीनों में करीब दो दर्जन से अधिक प्रतिमाएं तैयार की हैं। इनमें गणेश, दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती जैसी देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। खास बात यह है कि सभी प्रतिमाएं पारंपरिक तकनीक और प्राकृतिक रंगों से बनाई गई हैं। मिट्टी, भूसा, कपड़ा और बांस से तैयार मूर्तियां पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ सजीव भी प्रतीत होती हैं। स्थानीय व्यापारी रमेश गुप्ता का कहना है कि बाहर से आने वाली मूर्तियों में न तो इतनी बारीकी होती थी और न ही आत्मीयता। भारत सिंह की मूर्तियां देखकर लगता है जैसे उनमें प्राण बस गए हों। यही कारण है कि अब कस्बे के अधिकतर आयोजनों में इन्हीं मूर्तियों को प्राथमिकता दी जा रही है। गांव के लोगों के लिए भारत सिंह की कला राहत का सबब बनी है। अब उन्हें महंगी मूर्तियां बाहर से खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। यहां की बनी प्रतिमाएं न केवल किफायती हैं, बल्कि उनमें अपनापन भी झलकता है। भारत सिंह की इस पहल ने स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना भी जगाई है। उनके साथ गांव के कई युवा मूर्तिकला सीखने में रुचि दिखा रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यदि प्रशासनिक स्तर पर सहयोग मिले तो बिगहना गांव मूर्तिकला का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। भारत सिंह का सपना है कि वह भविष्य में प्रशिक्षण केंद्र खोलकर इस कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं। उनकी मेहनत और लगन से आज गांव को नई पहचान मिली है और त्योहारों की रौनक भी दोगुनी हो गई है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज मिश्रा
