
नई दिल्ली, 26 जून (Udaipur Kiran) । वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी और प्रतिरूपण को रोकने के लिए बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) की ओर से आयोजित परीक्षाओं में उम्मीदवारों के सत्यापन के लिए आधार प्रमाणीकरण के उपयोग की घोषणा की है। इसका उद्देश्य बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र में भर्ती प्रक्रियाओं की अखंडता को बढ़ावा देना है।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने भारत के राजपत्र में एस.ओ.837 (पृष्ठ 1614-15/सी) के तहत प्रकाशित एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) को स्वैच्छिक आधार पर हां/नहीं या/और ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा का उपयोग करके आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने के लिए अधिकृत किया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि ये अधिसूचना आधार अधिनियम, 2016 के संगत प्रावधानों के साथ पठित सुशासन (समाज कल्याण, नवोन्मेषण, ज्ञान) नियमावली, 2020 के लिए आधार सत्यापन के नियम 5 के तहत प्रकाशित की गई है। यह अधिसूचना भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के परामर्श के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा अधिकार-पत्र के बाद जारी की गई है। आईबीपीएस ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024’ के तहत एक नामित ‘सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण’ है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार इस पहल का उद्देश्य बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र में सुशासन को बढ़ावा देना और परीक्षा के दौरान प्रतिरूपण और अन्य कदाचारों पर अंकुश लगाकर भर्ती प्रक्रिया की अखंडता को सुदृढ़ बनाना है। यह न केवल एक निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करेगा बल्कि वास्तविक उम्मीदवारों को धोखाधड़ी पूर्ण गतिविधियों के कारण वंचित होने से भी बचाएगा। यह पहचान सत्यापन को सरल बनाएगा और उसमें तेजी लाएगा, प्रशासनिक बोझ को कम करेगा।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
