
कोलकाता, 3 जुलाई (Udaipur Kiran) ।
पश्चिम बंगाल भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने वाला है। इस पद की दौड़ में वरिष्ठ नेता दिलीप घोष का नाम भी चर्चा में था, लेकिन आखिरकार पार्टी की कमान शमिक भट्टाचार्य के हाथों में सौंप दी गई। इस नियुक्ति के बाद पहली बार दिलीप घोष ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया दी है।
गुरुवार सुबह दिलीप घोष कोलकाता स्थित दुर्गापुर हाउस से सुबह की सैर पर निकले थे। बारिश के कारण वे बार-बार रुकते रहे और एक मिठाई की दुकान के पास कुर्सी डालकर बैठ गए। यहां उन्हें मिठाई खाते हुए भी देखा गया। यहीं बैठे-बैठे उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की और नए अध्यक्ष को लेकर अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा, “जब मैं पार्टी में आया, तब शमिक भट्टाचार्य पार्टी के प्रदेश महासचिव थे और वे एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी थे। पार्टी दो पद एक साथ नहीं देती, इसीलिए उन्हें तब प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया गया था। वे लंबे समय से पार्टी के प्रवक्ता रहे हैं और अच्छा बोलते हैं। पार्टी ने माना कि वे संगठन संभाल सकते हैं, इसलिए उन्हें जिम्मेदारी दी गई है।”
जब उनसे पूछा गया कि वे खुद अध्यक्ष की दौड़ से कैसे बाहर हो गए, तो उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “मैं रोज सुबह पांच बजे दौड़ता हूं, लेकिन किसी दौड़ में शामिल नहीं होता। मैं जिलों में घूम रहा हूं, कार्यकर्ताओं से संपर्क में हूं, यही मेरा काम है।” हालांकि उनके चेहरे के भावों से साफ था कि वह पार्टी के इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।
यह बयान ऐसे समय आया है जब बंगाल भाजपा के भीतर नेतृत्व को लेकर चर्चा तेज है। दिलीप घोष, जो पहले प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। ऐसे में उनकी प्रतिक्रिया को सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पार्टी के अंदरूनी समीकरणों का संकेत भी माना जा रहा है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
