Uttar Pradesh

मानवाधिकार का हनन परिवार से ही होता है शुरूः चंद्रवंशी

मानवाधिकार का हनन परिवार से ही होता है शुरूः चंद्रवंशी

–जागरूकता संगोष्ठी में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रखे विचार

हमीरपुर, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । पुलिस के मानवाधिकार हनन के मामले लोगों का सर्वाधिक दिखते हैं। लेकिन यह सिर्फ सात फीसदी है। जबकि राजस्व विभाग सहित अन्य सरकारी संस्थाओं, परिवार, पड़ोस एवं समाज द्वारा किए गए हनन के मामले अधिक है।

उक्त विचार भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग चंद्रवंशी ने सोमवार को सुमेरपुर कस्बे के एक मैरिज लॉन में आयोजित परिचय पत्र वितरण एवं जागरूकता संगोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संगठन की पहल से देश में केवल उत्तर प्रदेश मानवाधिकार न्यायालय गठित हुए हैं। इन न्यायालयों में बगैर पुलिस रिपोर्ट दर्ज किये सुनवाई किए जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि महिला उत्पीड़न विवाह के बाद अधिक होते हैं। इसलिए विवाह पूर्व काउंसलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे महिला उत्पीड़न के मामले घटेंगे। उन्होंने बताया कि मानवाधिकार हनन के मामले में पुलिस का आंकड़ा मात्र सात फीसदी है। राजस्व सहित अन्य विभागों में उत्पीड़न अधिक होते हैं।

संगोष्ठी को प्रदेश महासचिव संजय यादव ने कहा कि पुलिस एवं मानवाधिकार एक दूसरे के पूरक हैं। मानवाधिकार का उत्पीड़न परिवार, पड़ोस, समाज, शासन प्रशासन से शुरू होता है। भ्रूण हत्या को उन्होंने जघन्य अपराध बताया। विडम्बना यह है कि इसके लिए एक महिला ही दूसरी महिला को प्रेरित करती है। इसको पूरी तरह से बंद होना चाहिए।

संचालन जिलाध्यक्ष मुनीर खान ने करते हुए सभी के प्रति आभार जताया। इस मौके पर महासचिव कृष्णकांत सिंह,जिला प्रमुख युवा संरक्षण विकास सिंह टोनू,राहिला परवीन, व्यापार मंडल अध्यक्ष महेश गुप्ता दीपू,एमएल अवस्थी, गणेश सिंह विद्यार्थी, डॉ.देवीदीन अविनाशी, प्रेमविलास गुप्ता, अनिल परनामी, श्यामलाल गुप्ता, ओमप्रकाश लखेरे, जितेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

—————

(Udaipur Kiran) / पंकज मिश्रा

Most Popular

To Top