West Bengal

काली पूजा पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़, कालीघाट सहित दक्षिणेश्वर और तारापीठ में गूंजे जयकारे

दक्षिणेश्वर मंदिर

कोलकाता, 20 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मां काली की आराधना के पावन अवसर पर सोमवार सुबह से ही पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध शक्तिपीठों — कालीघाट, दक्षिणेश्वर और तारापीठ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही मंदिरों में पूजा-अर्चना, भोग और हवन का दौर जारी है। सुरक्षा के मद्देनज़र कोलकाता पुलिस ने कालीघाट और दक्षिणेश्वर मंदिर परिसर तथा आसपास के इलाकों में विशेष इंतज़ाम किए हैं।

दरअसल पश्चिम बंगाल में रिवाज रहा है कि दीपावली के दिन मां काली की पूजा होती है।

कालीघाट, जो देशभर के 51 शक्तिपीठों में से एक है, में सती के दाहिने पैर की चार उंगलियां गिरी थीं। मान्यता है कि यहां अमावस्या की रात से पहले मां काली को लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। इस दौरान मां को चावल, पांच तरह की भाजा (तेल में भुनी सब्जियां), पांच प्रकार की सूखी मछली, घी, मिठाई और बकरे का मांस भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है।

इसी प्रकार, दक्षिणेश्वर काली मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

वहीं, बीरभूम जिले के तारापीठ मंदिर में भी भक्तों का सैलाब उमड़ा। यह भी 51 शक्तिपीठों में शामिल है, जहां मां सती का नेत्र गिरा था। यहां मां काली, मां तारा के रूप में पूजी जाती हैं। सुबह से ही हजारों श्रद्धालु तांत्रिकों और अघोरियों के साथ पूजा, यज्ञ और हवन में शामिल हुए। परंपरा के अनुसार, यहां मां को देसी शराब का भोग भी लगाया जाता है।

राज्य के इन तीनों प्रमुख शक्तिपीठों में सुबह से लेकर देर रात तक पूजा-अर्चना का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। भक्तों में मां काली के दर्शन को लेकर अपार श्रद्धा और उत्साह देखा जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि आज के दिन दुर्गा पूजा की तरह पश्चिम बंगाल में बंगाली समुदाय के लगभग प्रत्येक घर में मां काली की पूजा की जाती है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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