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एचआरटीसी कर्मियों ने दी चेतावनी, एक अगस्त से सिर्फ 8 घंटे ही देंगे सेवाएं

शिमला, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की परेशानियां एक बार फिर बढ़ सकती हैं। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के ड्राइवर-कंडक्टरों ने बकाया देनदारियों के चलते सरकार को सीधी चेतावनी दी है कि अगर 31 जुलाई तक उनका हक नहीं मिला, तो एक अगस्त से वे सिर्फ 8 घंटे ही ड्यूटी देंगे। इसके बाद बसें जहां भी होंगी, वहीं रोक दी जाएंगी।

एचआरटीसी ड्राइवर-कंडक्टर यूनियन के राज्य अध्यक्ष मान सिंह ठाकुर ने सोमवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के पांच साल का करीब 100 करोड़ रुपये का ओवरटाइम निगम के पास लंबित है। इसके अलावा करोड़ों का चिकित्सा भत्ता भी सरकार को देना बाकी है। यही नहीं कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिल पा रहा है।

मान सिंह ठाकुर ने कहा कि यूनियन ने 11 जुलाई को सरकार को अंतिम अल्टीमेटम दे दिया था कि 31 जुलाई तक सभी वित्तीय देनदारियां पूरी की जाएं। लेकिन अब तक सरकार की तरफ से केवल आश्वासन ही मिला है, ठोस कार्रवाई कुछ भी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा, कर्मचारियों को उनका बकाया हक चाहिए।

यूनियन अध्यक्ष ने बताया कि 23 जुलाई को निगम प्रबंधन के साथ कर्मचारियों की बैठक प्रस्तावित है। अगर इस बैठक में भी समस्याओं का हल नहीं निकला और मांगें पूरी नहीं हुईं, तो एक अगस्त से राज्य भर में एचआरटीसी कर्मी ओवर टाइम ड्यूटी बंद कर देंगे। इसका मतलब होगा कि कर्मचारी केवल आठ घंटे की निर्धारित ड्यूटी ही करेंगे और उसके बाद बसें जहां भी होंगी, वहीं खड़ी कर दी जाएंगी।

उन्होंने कहा कि पहले भी सरकार से कई बार आग्रह किया गया, लेकिन लगातार अनदेखी हो रही है। कर्मचारियों को माह की पहली तारीख को वेतन तक नहीं मिल रहा, जिससे घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। ओवरटाइम का पैसा न मिलने से कर्मचारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।

यूनियन का कहना है कि सरकार को समझना होगा कि लंबे समय से लंबित वित्तीय देनदारियां कर्मचारियों का हक हैं, कोई मांग नहीं। जब तक इनका भुगतान नहीं किया जाएगा, तब तक आंदोलन का रास्ता ही आखिरी विकल्प बचा है।

उल्लेखनीय है कि एचआरटीसी के ड्राइवर-कंडक्टर प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएं देते हैं। यदि ये कर्मचारी सिर्फ 8 घंटे ही ड्यूटी करेंगे, तो हजारों बस यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इससे प्रदेश में यातायात व्यवस्था चरमरा सकती है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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