
उज्जैन,28 जून (Udaipur Kiran) । शहर में आगामी 4 एवं 5 जुलाई को एक राष्ट्रीय संगोष्ठी होने जा रही है। इंडियन डेयरी एसोसिएशन और विक्रम विवि के संयुक्त तत्वावधान में होनेवाली इस संगोष्ठी में मंथन होगा कि मध्य प्रदेश को डेयरी उत्पाद में कैसे अग्रणी बनाया जा सकता है। इसमें देशभर के दूध उत्पादक शामिल होंगे।
विक्रम विवि डेयरी उत्पादन में बी.टेक उपाधि पाठ्यक्रम इसी सत्र से प्रारंभ करने जा रहा है। कुलगुरू प्रो.अर्पण भारद्धज के अनुसार उक्त राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव भी शामिल होंगे। प्रो.भारद्धाज ने बताया कि-मध्य प्रदेश में डेयरी विकास की संभावनाएं एवं चुनौतियां मुख्य विषय रहेगा। भारत 1998 से वैश्विक दूध उत्पादन और खपत में सबसे आगे रहा है। वर्तमान में देश दुनिया के कुल दूध उत्पादन का 24 प्रतिशत हिस्सा भारत का है। यह 5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 230 मिलियन टन तक पहुँचा है। इस प्रभावशाली उत्पादन के बावजूद केवल 25.30 प्रतिशत दूध ही संगठित क्षेत्र द्वारा संसाधित किया जाता है, जो डेयरी उद्योग के लिए सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों की उपलब्धता का विस्तार करने और बढ़ाने के लिए विशाल अवसर प्रस्तुत करता है। दूध को व्यापक रूप से लगभग पूर्ण भोजन के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। पीढय़िों से डेयरी उत्पाद मानव पोषण का एक मूलभूत हिस्सा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि भारत का डेयरी उद्योग एक अद्वितीय छोटे किसान मॉडल पर काम करता है, जहां 80 से 90 प्रतिशत दूध का उत्पादन केवल 2 से 5 पशुओं वाले किसानों द्वारा किया जाता है। यह क्षेत्र 80 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवारों के लिए आय का प्राथमिक स्रोत है। महिलाओं के लिए रोजगार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महिला सशक्तिकरण में इससे योगदान मिलता है। लगभग 10 लाख करोड़ रु. मूल्य का दूध भारत में उत्पादित होता है। यह सबसे महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है, जो देश की अर्थव्यवस्था, पोषण और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस दौरान उनका कहना यह भी रहा कि दुग्ध उत्पादन और उत्पादों के महत्व पर संगोष्ठी का उद्देश्य ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, डेयरी क्षेत्र में नवाचारों को उजागर करना और मध्य प्रदेश में वास्तविक डेयरी उत्पादों के लिए उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाना है। विशेषज्ञ और पैनलिस्ट दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने, चारा और चारा संसाधनों का अनुकूलन करने, स्मार्ट डेयरी फार्मिंग प्रथाओं को लागू करने और अत्याधुनिक उत्पादन तकनीकों को अपनाने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों का सूक्ष्म अध्ययन के साथ विभिन्न चर्चाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटलीकरण, विपणन रणनीतियों, सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों तथा उद्योग के कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए टिकाऊ दृष्टिकोण के व्यापक पक्षों को भी शामिल किया गया है ।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
