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जीएसटी की दरें कम होने से देश में आतिथ्य, परिवहन और सांस्कृतिक क्षेत्रों को मिलेगा बढ़ावा

जीएसटी में कटौती से पर्यटकों और शिल्पकारों के लिए जारी लोगो का प्रतीकात्‍मक चित्र

नई दिल्‍ली, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । सरकार ने कहा कि सोमवार से लागू नई वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की (संशोधित) दरें देश के पर्यटन क्षेत्र को अधिक किफायती बनाएंगी, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाएंगी और कारीगरों और सांस्कृतिक उद्योगों को समर्थन देंगी। जीएसटी में इन कटौतियों से स्वदेशी पर्यटन को मजबूती, सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा और संबंधित क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

होटलों, बसों और कला और सांस्कृतिक वस्तुओं पर जीएसटी दर घटा

जीएसटी परिषद ने इस महीने की शुरुआत में अपनी 56वीं बैठक में होटलों (7,500 रुपये प्रतिदिन से कम) पर जीएसटी दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी (आईटीसी के बिना) कर दिया है। अब 10 से अधिक लोगों की बैठने की क्षमता वाली बसों पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया है। इसी तरह कला और सांस्कृतिक वस्तुओं पर भी जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है।

जीएसटी में इस कटौती से मध्यवर्ग और कम खर्च पर यात्रा करने वालों के लिए होटल में अब ठहरना ज्यादा किफायती हो जाएगा। इस उपाय से भारत का आतिथ्य कर ढांचा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थलों के अनुरूप बनेगा। इससे विदेशी पर्यटकों के लिए भारत भ्रमण ज्यादा आकर्षक होगा। इसके अलावा सप्ताहांत में यात्राओं, तीर्थ सर्किटों तथा विरासत और पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस कदम से मझोले दर्जे के नए होटलों, होमस्टे और अतिथिगृहों में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, रोजगार पैदा होंगे और अवसंरचना में सुधार आएगा।

बसों (10 से ज्यादा व्यक्तियों की क्षमता वाले) पर अब जीएसटी दर 18 फीसदी

सरकार ने बसों (10 से ज्यादा व्यक्तियों की क्षमता वाले) पर जीएसटी 28 फीसदी से घटा कर 18 फीसदी कर दिया है। बसों और मिनीबसों की खरीद का खर्च घटने से बस बेड़ा संचालकों, स्कूलों, कॉरपोरेट संस्थाओं, पर्यटन सुविधा प्रदाताओं और राज्य परिवहन उपक्रमों को सहूलियत होगी। सरकार के इस कदम से खास तौर से अर्धशहरी और ग्रामीण मार्गों पर टिकट दरों को घटाने में मदद मिलेगी। निजी वाहनों के बजाय साझा या सार्वजनिक परिवहन को अपनाए जाने को प्रोत्साहन मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप भीड़भाड़ और प्रदूषण घटेगा। बसों के विस्तार और आधुनिकीकरण में सहायता मिलेगी जिससे सार्वजनिक परिवहन ज्यादा आरामदेह और सुरक्षित बनेगा।

कला और सांस्कृतिक सामग्रियों पर अब 5 फीसदी जीएसटी

जीएसटी परिषद ने कला और सांस्कृतिक सामग्रियों पर जीएसटी 12 फीसदी से घटा कर 5 फीसदी किया है। यह कटौती प्रतिमाओं, छोटी मूर्तियों, मूल नक्काशियों, प्रिंट, शिलामुद्रण, जेवराती वस्तुओं, प्रस्तर कला के सामान तथा पत्थर पर जड़ाई के लिए घोषित की गई है। इसका सीधा लाभ कला शिल्पियों, शिल्पकारों और मूर्तिकारों को मिलेगा जिनमें से अनेक भारत के पारंपरिक गृह उद्योगों का हिस्सा हैं। सरकार के इस कदम से मंदिर वास्तुकला, लोकअभिव्यक्ति, सूक्ष्म छपाई, प्रिंट निर्माण और प्रस्तरशिल्प की जीवंत परंपराओं को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। इससे वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति और शिल्पकारी को बढ़ावा मिलेगा तथा विरासत अर्थव्यवस्था को आधुनिक बाजारों से जोड़ा जा सकेगा। भारत सरकार ने शिल्पकारों और सांस्कृतिक संस्थाओं को सक्रिय समर्थन देने के साथ ही पारंपरिक कलाओं, स्मारकों और विरासत स्थलों समेत देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण, संवर्द्धन, डिजिटलीकरण तथा वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन के लिए संस्कृति मंत्रालय के जरिए व्यापक प्रयास शुरू किए हैं।

पर्यटन पर जीएसटी दरों में कटौती का संभावित प्रभाव

जीएसटी पर‍िषद के पर्यटन पर जीएसटी की दरों में कटौती करने से इस क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके और क्‍या फायदा होगा, जो इस प्रकार है।

पर्यटन को प्रोत्साहन:- यात्रा और वास ज्यादा किफायती होने से स्वदेशी और विदेशी पर्यटकों का आगमन बढ़ेगा।

रोजगार सृजन:- आतिथ्य, परिवहन और शिल्पकारी के क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का विस्तार होगा।

सांस्कृतिक संरक्षण:- पारंपरिक भारतीय कला स्वरूपों को नई आर्थिक व्यवहार्यता मिलेगी।

संवहनीयता:- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिलने से उत्सर्जन और ट्रैफिक की भीड़भाड़ में कमी आएगी।

सरकार के मुताबिक वर्ष 2021 से 2024 तक भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। वर्ष 2021 में यह संख्या 15.27 लाख थी, जो 2024 में बढ़कर 99.52 लाख हो गई। यह वैश्विक महामारी के बाद भारतीय पर्यटन क्षेत्र के मजबूत विकास का संकेत है। यह वृद्धि इस काल में अंतरराष्ट्रीय यात्रा के ठोस ढंग से पटरी पर लौटने और पर्यटन गंतव्य के रूप में भारत में बढ़ती दिलचस्पी को प्रतिबिंबित करती है।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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