
छात्रवृति को किया गया बहाल, एलडीवी की सीटों में किया बदलाव वापिस लियामारपीट के आरोपों के बाद प्रोफेसर सहित सुरक्षा कर्मियों को किया गया निलंबितमांगे मानने के बावजूद बातचीत के लिए आगे न आना कर रहा काफी कुछ इशारेहिसार, 20 जून (राजेश्वर बैनीवाल)। यहां के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पिछले 11 दिनों से चल रहे छात्र आंदोलन के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुक्रवार काे विद्यार्थियों से जुड़ी दो अहम मांगे मानकर न केवल विद्यार्थियों बल्कि ग्रामीण जनता को बड़ी राहत प्रदान की है। इसके छात्र आंदोलन की जीत भी कहा जा सकता है क्योंकि इन्हीं दो मुख्य मांगों पर छात्रों ने आंदोलन शुरू किया था और अब वे मांगे मान ली गई है। इसी बीच पिछले मंगलवार की रात को विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों व सुरक्षा कर्मियों के बीच हुए टकराव को लेकर विद्यार्थियों का गुस्सा बरकरार है और वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे विद्यार्थियों का यह आंदोलन राजनीतिक रंग लेने लगा है।आंदोलन के राजनीतिक रंग लेने से कुछ लोगों की मंशा उभर कर फिर सामने आ गई है क्योंकि दो मुख्य मांगे मानने के बाद बाकी बची मांगे पूर्व में कुछ लोग उठा चुके हैं। विद्यार्थी मांग कर रहे थे कि स्टाइफंड (छात्रवृति) में कटौती न की जाए और एलडीवी की सीटें बहाल की जाए। ऐसे में यह स्पष्ट किया जाना जरूरी है कि स्टाइफंड में कटौती बजट में कमी के चलते की गई थी लेकिन इसे अब वापिस ले लिया गया है और छात्रवृति पहले की तरह जारी रहेगी। विश्वविद्यालय ने ऐसा पत्र भी जारी कर दिया है। दूसरी मांग एलडीवी की थी, वो भी विश्वविद्यालय प्रशासन मान चुका है।
विश्वविद्यालय बार-बार यह स्पष्ट कर चुका है कि एलडीवी की सीटें समाप्त या कम नहीं की गई थी बल्कि कुछ बदलाव किया गया था और छात्रों के अनुरोध व आंदोलन के चलते इसे वापिस भी ले लिया गया है। अब दोनों मुख्य मांगों का पत्र विश्वविद्यालय प्रशासन जारी कर चुका है और विश्वविद्यालय द्वारा गठित कमेटी धरनास्थल पर जाकर बार-बार अपील कर रही है कि विश्वविद्यालय से जुड़ी अन्य मांगों व समस्याओं के हल के लिए विद्यार्थी बातचीत की टेबल पर आए क्योंकि हर समस्या का समाधान बातचीत से ही निकलता है। इसके बावजूद आंदोलनकारी विद्यार्थी बातचीत से ही इनकार कर रहे हैं। विद्यार्थियों की बातचीत न करने की मंशा से स्पष्ट है कि वे बातचीत ही नहीं करना चाहते तो विश्वविद्यालय से जुड़ी कोई मांग लंबित नहीं है और अब उनका आंदोलन राजनीतिक रंग में रंग गया है। मारपीट के मामले में पुलिस ने प्रोफेसर राधेश्याम व अन्य पर केस दर्ज कर लिया और प्रोफेसर राधेश्याम को गिरफ्तार कर लिया जो इस समय न्यायिक हिरासत में है। विद्यार्थियों के आंदोलन व उनकी मांगों पर हुई कार्रवाई के बावजूद विद्यार्थियों का बातचीत न करना व आंदोलन समाप्त न होना काफी कुछ इशारे कर रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश में तीसरी बार भाजपा सरकार बनने के बाद जो राजनीतिक दल व कुछ संगठन जो हाशिए पर चले गए थे, उन्हें इस आंदोलन के रूप में भाषण देने व राजनीतिक रोेटियां सेंकने का मंच मिल गया है और अब ये संगठन इस मंच का बदस्तूर प्रयोग कर रहे हैं।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
