
मीरजापुर, 9 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजगढ़ क्षेत्र में किसानों के लिए छुट्टा पशु दोहरी मुसीबत बन गए हैं—दिन में खेतों में घुसकर फसल चट कर जाते हैं और शाम होते ही सड़कों पर ‘आराम फरमाने’ आ जाते हैं। नतीजा, आए दिन दुर्घटनाएं और किसानों की रातें खेतों में पहरा देते हुए कट रही हैं।
बरसात का मौसम जैसे-जैसे परवान चढ़ा, वैसे-वैसे छुट्टा पशुओं की संख्या भी बढ़ गई। ग्रामीणों के मुताबिक, दूध देना बंद करने वाले या वृद्ध हो चुके मवेशियों को पशुपालक जंगल या दूसरे गांव में छोड़ देते हैं। ये पशु भूख लगने पर खेतों में घुस जाते हैं और रात में सड़क किनारे या बीचों-बीच बैठ जाते हैं। इससे बाइक सवार और राहगीर अक्सर टकरा जाते हैं, जबकि कई पशु भारी वाहनों की चपेट में आकर घायल या मृत हो जाते हैं।
राजगढ़ विकासखंड में निराश्रित पशुओं के लिए चार गौशालाएं बनी हैं, जिनके संचालन पर सरकारी धन भी खर्च होता है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जब वे अपने मवेशी गौशाला में जमा कराने जाते हैं, तो संचालक तरह-तरह के बहाने बनाकर प्रवेश से मना कर देते हैं। मजबूरी में लोग मवेशियों को छोड़ देते हैं, और यही पशु फसल बर्बाद करने के साथ-साथ हादसों का कारण बनते हैं।
क्षेत्र के किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि छुट्टा पशुओं को निराश्रित गौशालाओं में रखने की ठोस व्यवस्था की जाए। इस संबंध में मड़िहान उप जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने बताया कि सभी निराश्रित पशुओं को गो-आश्रय केंद्रों में संरक्षित करने के निर्देश दिए गए हैं और विशेष अभियान चलाकर जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
