
खुद को खरीदार या भुगतानकर्ता बताकर नागरिकों सेे ठगी कर रहे साइबर अपराधीहिसार, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । डिजिटल लेनदेन के इस युग में जहां मोबाइल के माध्यम से पैसा भेजना और प्राप्त करना बेहद आसान हो गया है, वहीं साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने के लिए नए तरीके अपनाने शुरू कर दिए हैं। हाल के दिनों में यूपीआई क्यूआर कोड फ्रॉड के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें अपराधी खुद को खरीदार या भुगतानकर्ता बताकर भोले-भाले लोगों से ठगी कर रहे हैं।पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन ने बुधवार को बताया कि अक्सर ठग किसी वस्तु को खरीदने, सेवा के बदले भुगतान करने या ऑनलाइन बुकिंग रद्द करने के बहाने पीड़ित को एक क्यूआर कोड भेजते हैं और कहते हैं कि इसे स्कैन कीजिए, आपको पैसे मिल जाएंगे। जब व्यक्ति उस क्यूआर कोड को स्कैन करता है और यूपीआई पिन डालता है, तो उसके खाते से पैसा कट जाता है, आने के बजाय चला जाता है। याद रखिए क्यूआर कोड स्कैन करने या पिन डालने से पैसा कभी आता नहीं, बल्कि जाता है। किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड को कभी स्कैन न करें, पैसा प्राप्त करने के लिए पिन डालने की आवश्यकता नहीं होती, पिन केवल भुगतान (मनी सेंड) के समय ही डाला जाता है, किसी भी कॉल, एसएमएस या सोशल मीडिया चैट में मिले संदिग्ध लिंक या क्यूआर कोड पर क्लिक न करें, यदि कोई खुद को सरकारी अधिकारी, बैंक कर्मचारी या कंपनी प्रतिनिधि बताकर भुगतान करवाने की कोशिश करे तो तुरंत उसकी जानकारी न दें, हमेशा यूपीआई ऐप (जैसे फोन पे, पेटीएम, गुगल पे आदि) पर नोटिफिकेशन को ध्यान से पढ़ें, ‘मनी सेंट’ और ‘मनी रिसिवड’ में फर्क समझें, अपने बैंक या यूपीआई ऐप की लॉगिन जानकारी, ओपीटी या पिन किसी को भी साझा न करें।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
