Haryana

हिसार : अधिक तापमान के बावजूद ज्यादा पैदावार देने में सक्षम डब्ल्यूएच 1309 :कम्बोज

कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए।

हकृवि ने विकसित की गेहूं की नई तापमान रोधी पछेती किस्म डब्ल्यू एच 1309

हिसार, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं एवं जौ अनुभाग

द्वारा गेहूं की पछेती किस्म डब्ल्यू एच 1309 विकसित की गई है। डब्ल्यू एच 1309 किस्म

अन्य सभी किस्मों की तुलना में गर्मी के प्रति अधिक सहनशील है। इस किस्म का हरियाणा

की राज्य बीज उप समिति द्वारा अनुशंसा की गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण मार्च के

महीने में तापमान की बढ़ोतरी देखी गई है जिससे गेहूं की फसल पर दुष्प्रभाव पड़ता है,

लेकिन इस किस्म की पैदावार पर तापमान के बढऩे का असर नहीं होगा।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने बुधवार काे नई किस्म को विकसित करने वाले

वैज्ञानिकों को बधाई दी। कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने बताया कि धान की कटाई में देरी,

जलभराव या अन्य कारणों से हरियाणा के 15 से 20 प्रतिशत क्षेत्र में गेहूं की बिजाई

में देरी हो जाती है। इसके मद्देनजर विश्वविद्यालय के गेहूं एवं जौ अनुभाग के वैज्ञानिकों

की टीम द्वारा गेहूं की अधिक पैदावार देने वाली नई पछेती किस्म डब्ल्यू एच 1309 विकसित

की गई है। सिंचित परिस्थितियों के परीक्षणों में उपरोक्त किस्म ने औसत उपज 55.4 क्विंटल/हैक्टेयर

दर्ज की है और इसकी अधिकतम उपज 64.5 क्विंटल/हैक्टेयर है। हरियाणा के विभिन्न जिलों

में किसानों के खेत पर किए प्रयोगों में इसकी औसत उपज 54.3 क्विंटल/हैक्टेयर रही, जो कि चेक किस्म डब्ल्यू

एच 1124 (48.2 क्विंटल/हैक्टेयर) की तुलना में 12.7 प्रतिशत अधिक रही। उन्होंने बताया

कि जनवरी के प्रथम सप्ताह तक इसकी बुवाई की जा सकती है। जनवरी माह के दौरान किसानों

के खेत पर की गई बिजाई का प्रदर्शन भी बहुत अच्छा रहा जिसमें इस किस्म की पैदावार

40-50 क्विंटल/हैक्टेयर रही। इसके दाने मोटे व चमकीले होते हैं।

डब्ल्यू एच 1309 की बिजाई का उचित समय, बीज व खाद की मात्रा

अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि गेहूं की नई किस्म डब्ल्यू एच

1309 की बिजाई का उचित समय एक दिसम्बर से 20 दिसम्बर है तथा बीज की मात्रा 125 किलोग्राम

प्रति हैक्टेयर है। इस किस्म की अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए शुद्ध नाइट्रोजन

150, फास्फोरस 60, पोटाश 30, जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर प्रयोग की सिफारिश

की जाती है। यह नई किस्म पछेती बिजाई वाले क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होगी।

कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि डब्ल्यू एच

1309 किस्म 83 दिन में बालियां निकालती है तथा 123 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।

इस किस्म की बालियां लंबी व भूरे रंग की है।

इस किस्म की ऊंचाई 98 सेंटीमीटर है, जिससे इसके गिरने का खतरा न के बराबर है। इस किस्म

का दाना मोटा है। इसमें 13.2 प्रतिशत प्रोटीन, हेक्टोलीटर वजन 81.9 केजी/एचएल व अवसादन

मान 54 मि.ली. है। पौष्टिकता व चपाती बनाने के लिए यह किस्म अच्छी है।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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